सूर्य के उत्तरायण आते ही नटराज पुनः पधारे

चित्तौड़गढ़ । दुर्गराज चित्तौड़गढ़ का कुम्भा महल एवं इसका प्रांगण यू तो कई ऐतिहासिक पलों का साक्षी रहा है लेकिन रविवार शाम को वर्षों बाद पुनः ऐतिहासिक पल का साक्षी बना। रविवार शाम को करीब एक हजार वर्ष प्राचीन दुर्लभ नटराज की मूर्ति को पुनः स्थापित करने के लिए भारत सरकार की ओर से पुरातत्व विभाग को सौंपा गया। जिले के बाडौली मंदिर से 25 वर्ष पूर्व चोरी गई इस प्रतिमा को लंदन के संग्रहालय से मंगवाकर केन्द्र सरकार की ओर से केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने एक समारोह में इस दुर्लभ प्रतिमा को पुरातत्व विभाग को सौंपा।

कुम्भा महल प्रांगण में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि नटराज की मूर्ति आज वापस लौटी है तो ऐसा लग रहा है जैसे मीरा के गिरधर लौटे हैं। उन्होने कहा कि सूर्य के उत्तरायण में आते ही यह मूर्ति चित्तौड़ लौटी है तो क्षेत्र आने वाले में समय में और धन धान्य से परिपूर्ण होगा। मेघवाल ने कहा कि वर्ष 2013 से पहले मात्र 13 मूर्तियां ही विदेशों से वापस आई थी लेकिन 2013 के बाद से अब तक 229 मूर्तिया विदेषों से वापस भारत लाई गई हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की निगाहें काफी तेज हैं और वह दूर तक देखती हैं। उनकी दृष्टि से ना तो अधिकारी बच सकते हैं और ना ही हम जैसे मंत्री या सांसद।

केबिनेट राज्य मंत्री ने समारोह में बताया कि आज जो यह मूर्ति वापस आई है यह दुर्लभ मूर्ति 15 व 16 फरवरी 1998 की मध्यरात्रि को कुख्यात मूर्ति तस्कर वामन नारायण घीया गिरोह ने रावतभाटा के बाडौली मंदिर से चुराई थी। चित्तौड़ दुर्ग की समस्याओं के बारे में उन्होने कहा कि शीघ्र ही यहां भारत सरकार की पर्वतमाला योजना के तहत रोप वे स्थापित हो जायेगा। इस दुर्ग के विकास में कोई कमी नहीं आने दी जायेगी। पुरातत्व विभाग से सम्बन्धित एक एक्ट को संशोधन के लिए केबिनेट के पास भेजा गया है और यह पास होते ही दुविधा भी दूर हो जायेगी।

क्षेत्रीय सांसद सी.पी. जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह एक ऐतिहासिक पल है। बाडौली मंदिर से यह मूर्ति चोरी होकर 1 करोड़ से ज्यादा कीमत में इसे विदेश में बेचा गया था। मोदी सरकार ने कानून सम्मत कार्यवाही की और इसे पुनः भारत लाने में सफलता मिली। अब यह दुर्लभ मूर्ति चित्तौड़ पुनः आ गई है। जोशी ने बताया कि टेण्डर हो चुके है तथा जल्द ही रात्रि में दुर्ग की प्राचीर जगमगाहट करेगी। उन्होंने कहा कि यहां डीयर पार्क के लिए यदि राज्य सरकार प्रस्ताव बनाकर भेजेगी तो इसे विकसित करने में भी केन्द्र सरकार कोई कसर नहीं छोडे़गी। सांसद ने कहा कि पर्यटक से महत्वपूर्ण धरोहर होती है और चित्तौड़गढ़ पर आवागमन को लेकर जो समस्या है उसका शीघ्र ही वैकल्पिक उपाय तैयार करेंगे। बांसवाड़ा पीठ के महंत महामण्डलेश्वर उत्तम स्वामी महाराज ने कहा कि विदेशियों में ऐश्वर्य एवं भोग तो बहुत है लेकिन आत्मिक शांति नहीं है। उन्होंने कहा कि भगवान को मानने के लिए पत्थर भी भारत का ही होना चाहिए। उन्होंने मांग रखी कि जिस तरह काशी लोक, महाकाल लोक बना है, ठीक उसी तरह चित्तौड़गढ़ को भी महाराणा लोक बनाया जाना चाहिए। चित्तौड़गढ़ विधायक चन्द्रभानसिंह आक्या ने कहा कि चित्तौड़ दुर्ग पर विगत कुछ वर्षों से काफी विकास हुआ है।

इससे पूर्व स्वागत उद्बोधन देते हुए पुरातत्व विभाग के एडीजी आलोक तिवारी ने कहा कि यह सबके गर्व का विषय है कि यह दुर्लभ धरोहर को मूल स्थान पर ला पाये हैं। उन्होंने कहा कि गलत तरीके से धरोहर यदि विदेश जाती भी है तो भारत सरकार का विदेश मंत्रालय कानून सम्मत प्रयास करके उसे वापस लाता है। बहुत सारी मूर्तियां भारत आ चुकी हैं और बहुत सारी और आनी बाकी हैं। भारत सरकार जो धरोहर जहां की होती है वहीं पर स्थापित करने के लिए पुनः वहां के प्रशासन को सौंप देती है।

समारोह से पूर्व केन्द्रीय मंत्री, सांसद एवं विधायक ने जौहर स्थली के निकट जौहर शिलालेख का भी लोकार्पण किया। इसं मौके पर महंत चन्द्र भारती, महंत जमनापुरी, रामनारायणपुरी, पुरातत्व विभाग संयुक्त सचिव संयुक्ता मुद्गल, डायरेक्टर अनिल तिवारी, जोधपुर मण्डल के अधीक्षक डॉ.वीरसिंह, रमेश आर्य, प्रेम शर्मा आदि भी उपस्थित थे।

नटराज यह मूर्ति दसवीं सदी से पहले की है। यह मूर्ति चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा में स्थित बाडौली मंदिर समूह के मुख्य मंदिर घटेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित थी। इस दुर्लभ प्रतिमा को 15 व 16 फरवरी 1998 की मध्यरात्रि को जयपुर के कुख्यात मूर्ति तस्कर बामन नारायण गिरोह ने चुरा कर लंदन के एक निजी म्यूजियम को बेच दी थी तथा पुरातत्व विभाग एवं पुलिस को भ्रमित करने के लिए मिलती जुलती नकली मूर्ति को वहां जंगल में फेंक दिया था।

Related Articles

Back to top button