Karnataka Elections 2023: किसके सिर सजेगा कर्नाटक का ताज

– प्रदीप सरदाना

  वरिष्ठ पत्रकार

कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Elections) के नतीजे आने में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। शनिवार 13 मई शाम तक साफ हो जाएगा की इस बार वहाँ किसकी सरकार बनती है। लेकिन चुनाव के दिन 10 मई को हुए एग्जिट पोल (Exit Polls) में अधिकतर सर्वे कांग्रेस (Congress) को भाजपा (BJP) से ज्यादा सीट दिला रहे हैं। कुछ तो कांग्रेस को बहुमत या बहुमत के करीब पहुंचा रहे हैं। एक सर्वे भाजपा को भी बहुमत दिला रहा है।

कर्नाटक (Karnataka) में चुनाव से पहले जो ओपिनियन पोल हुए थे उनमें भी शुरुआती दौर में कांग्रेस विजय दिखाई जा रही थी। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान जब  कांग्रेस अध्यक्ष खड्गे और उनके पुत्र प्रियांक ने पीएम मोदी (PM Modi) को जहरीला साँप और नालायक जैसे अभद्र शब्द बोले तो मामला गरमा गया। इसी दौरान जब कांग्रेस ने बजरंग दल को प्रतिबंध करने की बात की तो गाली और बजरंगबली मुद्दे पर विपक्ष का हिन्दू मतदाता भाजपा के पक्ष में जाता दिखा। क्योंकि इन दो मुद्दों के बाद हुए ओपिनियन पोल में भाजपा की सीटें बढ़ गईं।

लगभग इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Pm Narendra Modi) ने कर्नाटक में जब अपना चुनाव प्रचार तेज किया तो धरातल पर भी, भाजपा के प्रति लोगों का रुझान साफ दिखने लगा। पीएम मोदी की रैलियों और जनसभाओं में जबर्दस्त भीड़ ही नहीं उमड़ी,बल्कि लोगों का मोदी के प्रति अपार प्रेम और सम्मान भी तब साफ झलक रहा था। फिर भाजपा ने जुलाई 2021 से अब तक के कार्यकाल में कर्नाटक में काम भी बहुत किए। इसलिए इस सबके बावजूद यदि कर्नाटक में भाजपा अपनी सरकार नहीं बना पाती तो आश्चर्य ही होगा।

यूं देखा जाए तो 1988 के बाद से कर्नाटक में कोई भी सत्तारूढ़ पार्टी सही मायने में वापस नहीं आ सकी है। यदि यह सिलसिला जारी रहा तो उस हिसाब से भी भाजपा यहाँ सरकार नहीं बना सकती। लेकिन सच यह भी है कि चुनावों में पुरानी परंपरा और सिलसिले भी टूटते-बदलते रहते और चुनावी सर्वेक्षण भी उलटते रहे हैं।

कर्नाटक की ही बात करें तो सन 2018 के चुनावी सर्वेक्षण में पिछली बार वहाँ 12 मई को जो एग्जिट पोल हुए उसमें इंडिया टुडे-एक्सिस ने भाजपा को 85 सीट मिलने की बात कही थी और कांग्रेस को 111 सीट। ऐसे ही इंडिया टीवी ने भाजपा को 94 सीट और कांग्रेस को उससे ज्यादा 97 सीट मिलने का अनुमान जताया था। जबकि टाइम्स नाऊ-वीएमआर ने भी भाजपा को 87 और कांग्रेस को 97 सीट का। लेकिन जब चुनाव परिणाम आए तो भाजपा को 104, कांग्रेस को 80 और जेडी एस को 37 सीट मिलीं।

दिलचस्प यह है कि पिछली बार भी न्यूज़ नेशन ने एग्जिट पोल में भाजपा को 107 सीट मिलने का दावा किया था और इस बार तो सिर्फ न्यूज़ नेशन चैनल ही भाजपा 114 सीट मिलने का दावा कर बहुमत दिखा रहा है। क्योंकि 224 सीट की विधान सभा में बहुमत के लिए 113 सीट की जरूरत है।

कहने का अभिप्राय यह है कि चुनावी सर्वेक्षण कई बार तो काफी उलट फेर वाले रहे हैं तो कई बार सटीक भी बैठ जाते हैं। इसलिए इस बार के एग्जिट पोल देख कर ना तो कांग्रेस को उत्सव मनाना चाहिए ना भाजपा को मायूसी। हाँ त्रिशंकु विधानसभा होने पर जेडी एस के फिर से पौ बारह हो सकते हैं।

यूं भाजपा इस एग्जिट पोल को लेकर चिंतित नहीं दिख रही।कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने भी पिछली बार के उत्तर प्रदेश चुनावों के पोल की मिसाल देते हुए कहा है कि तब भी कहा था कि योगी जी की वापसी नहीं होगी। लेकिन उनकी शानदार वापसी हुई। ऐसे ही हमारी भी वापसी होगी।

देखा जाये तो भाजपा ने इस बार कर्नाटक में भी अपने चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ी। भाजपा के कई केंद्रीय दिग्गज नेताओं,असम (Assam) के मुख्यमंत्री हिमन्त बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सहित यहाँ सभी ने जमकर प्रचार किया। लेकिन नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के प्रचार का असर जिस तरह दिखा उससे तो यह स्पष्ट दिखता रहा कि भाजपा यहाँ सबसे बड़ी पार्टी तो रहेगी ही।

पीएम मोदी ने 7 दिन के अपने चुनाव प्रचार में 25 चुनावी कार्यक्रम रख, विपक्ष की नींद उड़ा दी थी। मोदी ने कर्नाटक के 31 में से 19 जिलों में जहां अपनी 19 जन सभाएं कीं वहाँ 6 रोड शो से कर्नाटक की 224 में से 164 विधानसभा को कवर कर लिया। मोदी के रोड शो और सभाओं में जनता की दीवानगी जिस तरह दिख रही थी, उसे देख भी लगता है कि भाजपा को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

बड़ी बात यह है मोदी ने कर्नाटक के 6 क्षेत्रों में अपने चुनावी कार्यक्रम बहुत ही  सोच समझ और पूरी रणनीति के साथ रखे। जिनमें जहां वे विधानसभा क्षेत्र भी थे,जिन्हें कांग्रेस प्रभावी कहा जा सकता है। जैसे बीदर,कोलार,मैसूर और विजयनगर। बता दें विजयनगर कर्नाटक का नया 31 वां जिला है।

फिर उन सीट को भी लिया जहां भाजपा पहले से ही मजबूत रही है। जैसे दक्षिण कन्नड, उत्तर कन्नड,चित्रदुर्ग, बागलकोट, हावेरी और शिमोग्गा। कर्नाटक के जो विधानसभा क्षेत्र जनसंख्या और क्षेत्रफल के हिसाब से बड़े हैं, वहाँ भी पहुंचने का प्रयास मोदी ने किया। राज्य की 7 विधानसभा सीट ऐसी हैं जो सर्वाधिक क्षेत्रफल में तो बड़ी हैं ही, जनसंख्या के हिसाब से भी वह अग्रणी है। जैसे उत्तर कन्नड, तुमकुरु, शिमोग्गा, चित्रदुर्ग, बेलगाम, गुलबर्गा और बीजापुर। मोदी ने इन क्षेत्रों को किसी न किसी रूप में कवर किया।

मोदी ने अपने 6 रोड शो में 3 बेंगलुरु में किए तो एक एक मैसूर, कलबुर्गी और तुमकुरु में। जिससे भाजपा, कांग्रेस, जेडी एस प्रभावित तीनों क्षेत्र कवर हो गए। उधर कांग्रेस ने भी अध्यक्ष खड़गे के साथ राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ने भी खूब प्रचार किया। एक जनसभा सोनिया गांधी ने भी की। लेकिन कांग्रेस और जेडी एस की सभाओं में वैसा उत्साह, वैसी भीड़ नहीं रही जैसी मोदी की रैली और सभाओं में थी।

इसलिए यह सब देख तो अभी भी लग रहा है कर्नाटक का ताज भाजपा के सिर ही बंधेगा। लेकिन मतदाता के खाने के दांत और दिखाने के दांत कुछ और रहे हों तो क्या कह सकते हैं।

यूं पिछली बार कर्नाटक की 15 वीं विधानसभा के चुनाव के बाद कर्नाटक में सत्ता का नाटक बहुत दिन तक चलता रहा। तब 17 मई को भाजपा ने बीएस येदियूरप्पा (B. S. Yediyurappa) को सरकार बनाई लेकिन वह सरकार 6 दिन ही चली। फिर 23 मई को सबसे कम 37 सीट प्राप्त जेड़ी एस ने कुमारस्वामी (H. D. Kumaraswamy) के नेतृत्व में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली। लेकिन 429 दिन बाद अंततः सबसे बड़े दल के रूप में भाजपा 26 जुलाई 2019 को फिर से जैसे तैसे अपनी सरकार गठित करने में सफल हो गयी। पहले इसके मुख्यमंत्री येदियूरप्पा बने और 28 जुलाई 2021 को भाजपा ने कर्नाटक कि कमान बासवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) को सौंप दी।

कामना रहेगी इस बार पिछली बार की तरह चुनाव परिणामों में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति ना हो। यहाँ भाजपा की बहुमत की सरकार बनती है तो डबल इंजन सरकार से दक्षिण का यह अहम राज्य विकास के पथ पर अच्छे से आगे बढ़ सकेगा।

 

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