केन्द्र पर रोज आ रहे सैकड़ों मरीजों को मिल रहा स्वास्थ्य लाभ

औरैया । इरादे नेक हो तो कुछ भी असंभव नहीं होता और जंगल में भी मंगल के रास्ते खुद-ब-खुद ही खुल जाते हैं। कभी बीहड़ के जिस कटीली सरजमी पर कोई पैर नहीं रखना चाहता था आज यहां लोग सेहत को दुरुस्त रखने के लिए लम्बी कतारें लगा रहे हैं। इस क्षेत्र में खुला आयुष चिकित्सालय लोगों को बेहतर इलाज ही उपलब्ध नहीं करा रहा है बल्कि उन्हें सेहतमंद राह पर भी ले जा रहा है।

जिले के अजीतमल तहसील के अयाना थाना क्षेत्र के समीप मुरादगंज-बीजलपुर बीहड़ी मार्ग पर जसवंतपुर गांव में सड़क किनारे बीते वर्ष आयुष चिकित्सालय खोला गया था। केन्द्र खुलने के बाद यहां तैनात चिकित्सकों के प्रयास से मरीजों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। यह उनके बीहड़ क्षेत्र में लगातार ग्रामीणों को जागरूकता करने का ही असर है और अब यहां मिलने वाली चिकित्सा सुविधा का दायरा भी बढ़ रहा है। बेहतर चिकित्सीय परामर्श और उपचार के चलते अब यहां रोजना मरीजों की भीड़ पहुंचती और उपचार व दवाएं मिलने पर राहत महसूस करती है।

केंद्र भले ही मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा हो लेकिन प्रशासनिक सहयोग के चलते और विभागीय मदद ने कमियों को जगजाहिर होने ही नहीं दिया। हालांकि बाउंड्रीवाल के लिए स्थानीय सांसद और विधायक से कई बार पत्राचार हुआ है। शीघ्र ही परिणाम सामने होंगे।

मरीजों को मिल रहा बेहतर इलाज

आयुष केंद्र में दवा लेने आए फिरोज, रिंकी, मेघनाथ बताते हैं कि वह कई वर्षों से पेट विकार की समस्या से जूझ रहे थे, मगर बीते सप्ताह मिली दवा का असर लगभग शत-प्रतिशत है। ऐसा ही यहां आए अन्य उपचार करने वाले ग्रामीणों ने भी बताया।

मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा केंद्र

सुविधाओं के नाम पर बिल्डिंग और दवाएं तो उपलब्ध कराईं गईं हैं, लेकिन बिजली-पानी का आज भी अभाव है। बाउंड्रीवल न होने के चलते स्टोर रूम भी सुरक्षित नहीं है। हालांकि प्रशासन व्यवस्थाएं मुहैया कराने की बात कह रहा है।

बड़े भू-भाग को मिला उपचार का मजबूत विकल्प

दस्यु समस्या से जूझे बिहड़ी आवाम को उपचार के नाम पर हमेशा ठगा ही गया है। आज बदलते दौर में लोगों को सनातनी संस्कृति में सर्वाधिक प्रचलन में रही आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का जीता जागता विकल्प सामने आया और लोग बढ़-चढ़ कर इस आयुष चिकित्सा पद्धति को अपना भी रहे हैं।

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