Happy Birthday Vyjayanthimala: वैजयंतीमाला जिनके अभिनय के अंदाज़ और घुंघरुओं की झंकार पर झूम उठता था रुपहला पर्दा

वैजयंतीमाला आज मना रही हैं अपना 87 वां जन्मदिन

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

नागिन, देवदास, मधुमती, नयादौर, सूरज, ज्वेल्थीफ और प्रिंस जैसी कई सुपर हिट फिल्मों की नायिका वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) आज 87 बरस की हो गईं। वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) अपने दौर की शिखर की नायिका थीं। दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद जैसे तब के तीनों बड़े सितारे उनके साथ काम करके बहुत खुश होते थे। यूं उनकी जोड़ी प्रदीप कुमार, राजेन्द्र कुमार, शम्मी कपूर, सुनील दत्त और धर्मेन्द्र जैसे नायकों के साथ भी खूब जमी। वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) की लोकप्रियता की एक बड़ी मिसाल यह भी है कि अभिनय सम्राट दिलीप कुमार (Dilip Kumar) ने सबसे ज्यादा,सात फिल्में वैजयंतीमाला के साथ ही कीं।

वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) की एक खास बात यह भी है कि दक्षिण से हिन्दी सिनेमा में आने वाली वह पहली बड़ी और सफल नायिका थीं। सन 1951 में उनकी पहली हिन्दी फिल्म ‘बहार’ हिट हो गयी तो उनके पास हिन्दी फिल्मों का ढेर लग गया।

असल में वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) एक डान्सिंग स्टार थीं। उनका अभिनय तो सभी के सिर चढ़कर बोलता ही था लेकिन जब वह रुपहले पर्दे पर नृत्य करती थीं तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते थे। हालांकि वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) की अंतिम फिल्म ‘गंवार’ 1970 में आई थी। उसके बाद उन्होंने शिखर पर रहते हुए फिल्मों से संन्यास ले लिया। लेकिन आज भी उनके अभिनय और नृत्य की मिसाल दी जाती हैं।

दो-तीन बरस पहले भी वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) ने इस उम्र में अपने भरतनाट्यम नृत्य की ऐसी प्रस्तुति की थी कि सभी अवाक रह गए थे । इन दिनों वह चेन्नई में रहती हैं। वह लोकसभा, राज्यसभा की सांसद भी रह चुकी हैं। सन 1984 में वह कांग्रेस के टिकट पर चेन्नई दक्षिण की सीट जीतकर लोकसभा पहुँचीं। उसके बाद 1993 से 1999 तक वह राज्यसभा की सदस्य भी रहीं। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गईं। लेकिन फिलहाल वह सक्रिय राजनीति से कुछ दूर सी हैं।

बात फिल्मों की हो, नृत्य संगीत की या राजनीति की। अपने तीनों भूमिकाओं में ही वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। फिल्मों में तो उनका जादू इस कदर चला कि वह अपने समय की सबसे ज्यादा पारिश्रमिक पाने वाली अभिनेत्री बन गयी थीं। अपनी शर्तों पर काम करती थीं। इसकी बड़ी मिसाल यह भी है कि उस दौर के लोकप्रिय और दिग्गज फ़िल्मकार, अभिनेता राज कपूर की फिल्म ‘संगम’ में भी काम करने के लिए उन्होंने मुश्किल से हाँ भरी थी।

असल में राज कपूर की जोड़ी सबसे ज्यादा नर्गिस के साथ ही जमी थी। लेकिन 1956 में जब राज कपूर और नर्गिस के परस्पर संबंध टूट गए तो राज कपूर के सामने यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया कि नर्गिस की जगह कौन ? इसके लिए राज कपूर ने पहले पद्मिनी को अपनी फिल्म ‘जिस देश में गंगा बहती है’ में लिया। यह फिल्म पसंद की गयी। लेकिन पद्मिनी, नर्गिस जैसा जादू नहीं चला सकीं।

उसी दौरान राज कपूर फिल्म ‘नज़राना’ में वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) के साथ काम कर रहे थे। राज कपूर और वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) दोनों बड़े स्टार थे। राज ने वैजयंती को अपनी नयी फिल्म ‘संगम’ में नायिका राधा की भूमिका का प्रस्ताव दिया। इसकी कहानी भी उन्हें सुनाई कि उनके दो हीरो होंगे। एक स्वयं राज कपूर और दूसरे  राजेन्द्र कुमार। लेकिन वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) ने ‘संगम’ के लिए कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। जब काफी दिन बाद भी वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) ने राज कपूर को जवाब नहीं दिया, तो राज कपूर विचलित हो गए।

वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) तब मद्रास में रहती थीं। राज कपूर ने उन्हें मद्रास में एक तार  भेजा। जिस पर लिखा था-‘’बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं।‘’ वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) ने वह तार पढ़ा तो उन्हें राज कपूर का यह अंदाज़ बहुत पसंद आया। वह पहले तो खुद बहुत हंसी। फिर उन्होने वह तार अपनी माँ वसुंधरा देवी को दिखाया तो वह भी राज कपूर से प्रभावित हो गईं। माँ ने कहा ‘संगम’ के लिए हाँ कह दो। वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) ने तब राज कपूर को अपनी स्वीकृति देने के लिए फोन उठाया तो वसुंधरा देवी ने उन्हें रोक दिया। वैजयंती ने हैरानी से माँ को देख कहा –क्यों?  वसुंधरा देवी ने  कहा- तुम भी हाँ राज कपूर के अंदाज़ में तार से ही भेजो। तुम लिखो- संगम होगा होगा होगा’

राज कपूर को जब उनकी इस नायिका का तार मिला तो उन्होंने तार को देख कर उसे चूमते हुए कहा-वाह अब आयेगा मज़ा, फिल्म करने का। उधर जब ‘संगम’ शुरू हुई तो राज कपूर ने वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) के साथ अपने तार के इस वार्तालाप को गीत में ढलवा दिया। ‘बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं’ ‘संगम’ का शीर्षक गीत बन बेहद लोकप्रिय हुआ। जब फिल्म में राज कपूर तालाब में नहाती हुई वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) के कपड़े उठाकर पेड़ पर चढ़, बैगपाइपर बजाते हुए यह गीत  गाते हैं। और वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) गीत के अंत में बोलती हैं- जाओ ना क्यूँ सताते हो, होगा, होगा, होगा।

हालांकि ‘संगम’ को बनाने में करीब 4 साल का समय लग गया। ‘संगम’ की शूटिंग विदेश में भी की गयी। राज कपूर (Raj Kapoor) की होम प्रॉडक्शन की यह पहली रंगीन फिल्म भी थी। इसलिए भी समय लग रहा था। लेकिन इस दौरान लंबे समय तक साथ रहते रहते, राज-वैजयंती दोनों बेहद करीब आ गए। दोनों का यह प्यार इतना बढ़ गया कि बात शादी तक पहुँच गयी। इससे राज कपूर की पत्नी कृष्णाराज बेहद खफा हो गईं। वह तो अपना घर छोड़कर बच्चों को लेकर होटल में रहने लगीं।

तब राज कपूर (Raj Kapoor) ने अपना घर-परिवार बचाने के लिए वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) से अलग होने का वचन कृष्णा कपूर को दिया। इधर इसी दौरान वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) की शूटिंग के दौरान तबीयत कुछ खराब हुई तो राज कपूर ने अपने डॉक्टर चमन लाल बाली को उन्हें देखने के लिए भेजा। संयोग कुछ ऐसे बने कि वैजयंतीमाला डॉ बाली से इलाज़ कराते-कराते, उन्हें अपना दिल दे बैठीं। राज कपूर तो तब एक दम हैरान रह गए जब उन्हें यह समाचार मिला,वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) ने डॉ बाली से शादी कर ली है।

इधर राज कपूर (Raj Kapoor) ने वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) से नाता तोड़ अपनी गृहस्थी तो बचा ली। लेकिन राज कपूर (Raj Kapoor) की फिल्म में वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) के साथ जो जोड़ी बनी वह अमर है। ‘संगम’ फिल्म आज भी इंटरनेट पर सर्वाधिक देखी जाने वाली फिल्मों में आती है।

वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) ने कुल लगभग 75 हिन्दी फिल्मों में काम किया। जिनमें लीडर, पैगाम, संघर्ष, आम्रपाली, कठपुतली, साथी और प्यार ही प्यार भी शामिल हैं। फिल्मों और नृत्य में दिये अपने योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें जहां 1968 में पहले पदमश्री दिया वहाँ 2011 में उन्हें पदमभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही उन्हें हिन्दी फिल्मों के लिए 5 फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिले। इनमें 3 फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में ‘साधना’, ‘गंगा जमुना’, और ‘संगम’ के लिए मिले। जब कि पहला फिल्मफेयर उन्हें ‘देवदास’ के लिए मिला था, बतौर सहायक अभिनेत्री। लेकिन वह उन्होने लेने से इंकार कर दिया था कि उनका ‘देवदास’ में चन्द्रमुखी का रोल भी पारो के समतुल्य है। इनके अलावा 1996 में वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) को फिल्मफेयर ने जीवन पर्यंत उपलब्धियों के लिए भी सम्मानित किया।

हालांकि अब वह बरसों से फिल्मों से दूर हैं लेकिन उनकी पुरानी फिल्में ही उनके शानदार अभिनय की गवाही देती रहती हैं। उनका एक बेटा है शुचिन्द्र, जो हिन्दी के साथ दक्षिण की फिल्मों में भी काम कर चुके हैं। वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) अच्छी अभिनेत्री होने के साथ एक अच्छी इंसान भी हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि मेरी बहन की शादी और बेटी के जन्म दिन पर वह हमारे दो समारोहों में भी आ चुकी हैं। इससे उनके साथ मेरे व्यक्तिगत मधुर संबंध भी रहे। उन्हें जन्म दिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें।

Related Articles

Back to top button