डॉ मंजरी पांडेय की दो कृतियों ‘प्रवाल’ और ‘एहसास-ए-मंजरी’ का वाराणसी में लोकार्पण
स्तुति। जानी मानी साहित्यकार और कवयित्री डॉ मंजरी पांडेय (Dr Manjari Pandey) की दो कृतियों ‘प्रवाल’ (निबंध संग्रह) और ‘एहसास -ए- मंजरी’ (गजल संग्रह) का हाल ही में वाराणसी में लोकापर्ण किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंडो-श्रीलंका इण्टरनेशनल बुद्धिस्ट एसोसिएशन के अध्याश डॉ के. सिरी सुमेध थैरो थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता ‘बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ की सदस्य निर्मला सिंह पटेल ने की। जबकि प्रसिद्द शास्त्रीय गायिका पदमश्री डॉ सोमा घोष समारोह की विशिष्ट अतिथि थीं।
कार्यक्रम का आरंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। पिलग्रिम्स के संस्थापक रामानन्द तिवारी ने स्वागत उद्बोधन किया फिर डॉ मंजरी पांडेय ने अपनी पुस्तकों को लेकर अपना मत रखा।
तत्पश्चात मुख्य अतिथि सिरी सुमेध ने कहा-” मंजरी का जीवन संघर्षशील रहा है। लेकिन सभी कार्य वह लगन से करती हैं। फिर मंजरी के ऊपर उपन्यास लिखा जाना सिद्ध करता है कि ये एक अनुकरणीय शख्सियत हो गई हैं।
उधर निर्मला सिंह पटेल ने कहा- ‘मंजरी जी विविधतापूर्ण व्यक्तित्व की स्वामिनी और समाज के लिये आदर्श हैं। उनके आत्मनिर्भर और विदुषी व्यक्तित्व की झलक उनकी रचनाओं मे दिखती है। नारी शक्ति के लिये तो वह प्रेरणा स्रोत हैं।
डॉ सोमा घोष (Dr Soma Ghosh) ने तो अपने भाव व्यक्त करते हुए उनकी पुस्तक में लिखी गजल की खूबसूरत पंक्तियों का भी उल्लेख किया –
चलो प्रेम के गीत हम गुनगुनाएं ।
जो रूठे हैं हमसे गले से लगाएं ।।
सोमा घोष बोलीं- ‘एहसास-ए-मंजरी बहुत खूबसूरत किताब है। इसमें मोहब्बत के हर रंग का उन्होंने अनुभव कराया है।‘
इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार राम सुधार सिंह ने कहा –‘मंजरी जी ने एक संवेदनशील कवयित्री होने के साथ साथ समर्थ निबंध लेखिका के रूप में भी स्वयं को प्रतिष्ठित किया है। पौराणिक विषयों के साथ समकालीन चुनौतियों पर आप बेवाक लिखती हैं।‘
उधर इग्नू,बी.एच.यू. के सहायक क्षेत्रीय निदेशक श्रवण कुमार पाण्डेय ने ‘प्रवाल’ पर चर्चा करते हुए कहा- ‘बसंत की मानवीय अभिलाषाएं एवं भावप्रवण अभिव्यक्ति मन को झकझोरती है। कार्यक्रम में डॉ शबनम खातून ने कहा – मंजरी पांडेय जी काशी की उन बुद्धिजीवी महिलाओं में से एक हैं जो सोलह कलाओं में निपुण है।‘
पिलग्रिम्स बुक हाउस, दुर्गाकुंड, वाराणसी में आयोजित इस कार्यक्रम में साहित्यिक, काव्य, संगीत, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र के कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। जिनमें प्रमुख हैं- डॉ शिव कुमार पराग, केशव शरण, धर्मेंद्र गुप्त साहिल,रचना शर्मा, सुरेन्द्र वाजपेयी, नरेन्द्र नाथ, ज्योत्सना प्रवाह, अत्रि भारद्वाज, गौतम अरोड़ा सरस, राजीव गौड़, प्रीति जायसवाल, अरुण द्विवेदी, सविता सौरभ, सिद्घनाथ शर्मा, शमीम गाजीपुरी, साकिब भारत, अजय गुप्ता, लता पांडेय, सुधा पांडेय, शुभा श्रीवास्तव, संध्या श्रीवास्तव, अमलेश श्रीवास्तव, अंजना त्रिपाठी ,विजय उपाध्याय कौशिक, जयन्ती कुण्डू, महेंद्र अलंकार, अरविन्द श्रीवास्तव, प्रियंवदा सिंह, जया टंडन, बीना राय, ममता देव, आलोक सिंह और नवीनचंद्र आदि।
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