भारत से तीन गुणा ज्यादा है चीन का रक्षा बजट

संसद में केंद्रीय बजट पेश किए जाने से पहले भारत का रक्षा क्षेत्र सुर्खियों में है। विशेषज्ञ इस साल के बजट में रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की उम्मीद करते हैं। इसके पीछे का प्रमुख कारण ताजा हालात है। चीन के साथ सीमा मुद्दों और रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध कुछ ऐसे प्रमुख कारक हैं जिन पर सरकार को इस क्षेत्र को धन आवंटित करते हुए इसमें इजाफे की आवश्यकता होगी। 2017 से सीमा पर चीनी कार्रवाइयों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अगले दशक में एक ज्यादा बड़ी परेशानी का सामना कर रहा है। हमारे रक्षा बजट में सुरक्षा वातावरण में इस मूलभूत परिवर्तन को दिखना चाहिए।
रक्षा बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की क्यों की जानी चाहिए

1. 2017 के दौरान से अधिक और इससे भी पहले भी कई मौकों पर भारत चीन के साथ अपनी सीमा पर तनाव का सामना कर रहा है। विशेष रूप से भूटान के पास लद्दाख से लेकर उत्तर पूर्व के इलाकों में चीनी घुसपैठ की कोशिशें बढ़ी हैं।

2. पाकिस्तान के साथ भारत की सीमा हमेशा अस्थिर रही है।

3. कश्मीर को सीमा पार घुसपैठ से मजबूत रक्षा की जरूरत है।

4. पाकिस्तान-चीन राजमार्ग भारतीय क्षेत्र से होकर गुजरते हैं, जिसकी निगरानी करने और अंतत: नियंत्रण करने की आवश्यकता है।

5. क्वाड चाहता है कि भारत हिंद महासागर से गुजरने वाले समुद्री व्यापार मार्गों की रक्षा करने में एक मजबूत भूमिका निभाए।

भारत के रक्षा बजट में होगा इजाफा?

रचीन का रक्षा बजट भारत के रक्षा बजट 5.25 लाख करोड़ रुपये (लगभग 70 अरब डॉलर) के मुकाबले तीन गुना है। उसका कुल रक्षा बजट 209 अरब डॉलर है। रक्षा विषेषज्ञों का मानना है कि रक्षा बजट करीब 6.6 लाख करोड़ रुपये होने की संभावना है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि “यह संभव है कि यह देश के रक्षा बलों को मजबूत करने के महत्व को देखते हुए और भी अधिक हो सकता है जो कई वर्षों से कुछ हथियार प्रणालियों के आगमन और पड़ोस में नित उत्पन्न खतरों से निपटने में सेना को औऱ सक्षम बना सके। वायु सेना को पूंजीगत उपकरणों के लिए उच्चतम आवंटन की आवश्यकता होगी, उसके बाद नौसेना और उसके बाद सेना होगी जो नवीनतम हथियार प्रणालियों के साथ पर्याप्त रूप से सशस्त्र होने में पिछड़ गई है।

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