Bela Bose Birthday: बेला बोस-फिल्मों की वह कमाल की डांसर और खूबसूरत अदाकारा, एक से एक हिट फिल्म है खाते में

प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक

बेला बोस फिल्मों की एक ऐसी अभिनेत्री रहीं जिन्हें आज के दौर के दर्शक चाहे न जानते हों, लेकिन 1960 से 1980 के दौर में फिल्म नगरी में उनके नाम की गूंज थी। उस दौर में उन्होंने एक से एक फ़िल्मकार,एक से एक कलाकार   के साथ काम किया।

बेला बोस का जन्म 18 अप्रैल 1941 को कोलकाता में हुआ था। लेकिन पिछले बरस मुंबई के एक अस्पताल में बीमारी से जूझते हुए, गत वर्ष 20 फरवरी को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।

यूं बेला ने अपनी ज़िंदगी में जहां बहुत सुख पाये, शोहरत-दौलत पायी। वहाँ संघर्ष भी इतना किया कि जो हर कोई नहीं कर सकता। लेकिन बेला ने अपनी मेहनत और योग्यता से अपनी तकदीर संवार ली।

हँसते-खेलते परिवार में जब आया बड़ा तूफान

असल में जब बेला का जन्म हुआ तब उनके पिता कोलकाता में कपड़ों के सम्पन्न व्यापारी थे। लेकिन जिस बैंक में उनके पिता का खाता था वह दिवालिया हो गया। इससे यह हँसता-खेलता परिवार सड़क पर आ गया। तब उनके पिता को अपने 5 बच्चों का परिवार पालने के लिए मुंबई आना पड़ा। लेकिन यहाँ भी बुरे दिनों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और एक सड़क हादसे में उनके पिता का निधन हो गया। तब बेला सिर्फ 11 साल की थीं। ऐसे में गुजर बसर के लिए उनकी माँ एक नर्स बन गईं। जबकि बेला ग्रुप डांस में एक डांसर। जिनमें कभी वह हेलन के साथ होती थीं तो कभी किसी के।

लंबा कद पहले अभिशाप बना और फिर वरदान, ‘मुगल-ए-आजममें भी किया काम  

बहुत कम लोग जानते हैं कि फिल्म ‘मुगल-ए-आज़म’ के एक गीत ‘मोहे पनघट पे नंदलाल’ में भी बेला बोस ग्रुप डांस में थीं। इनका कद बाकी डांसर से लंबा था। इस कारण यह ग्रुप में मेल नहीं खाती थीं। इसके चलते कई फिल्मों से इन्हें बाहर कर दिया जाता था। जिससे बेला का लंबा कद उनके लिए अक्सर अभिशाप बन जाता था। लेकिन यही लंबा कद बाद में इनके लिए वरदान बन गया।

असल में एक दिन निर्देशक नरेश सहगल ने इन्हें इसीलिए नोटिस किया कि वह बाकी ग्रुप डांसर्स में अलग दिख रही थीं। सहगल ने तभी बेला को अपनी फिल्म ‘मैं नशे में हूँ’ में दो सोलो डांस दे दिये। फिल्म के हीरो राज कपूर थे तो हीरोइन माला सिन्हा। बस उसके बाद से बेला बोस की किस्मत बदल गयी।

प्रोफेसर, बंदिनी, चित्रलेखा, सीआईडी, जीने की राह जैसी कई फिल्म हैं खाते में

पहले बेला बोस अपने डांस से धमाल करती रहीं और फिर अभिनय की दुनिया में भी उन्हें अच्छे मौके मिलने लगे। जिससे बेला के पास फिल्मों की कतार लग गयी। जिनमें एक फूल चार कांटे, प्रोफेसर, सौतेला भाई, हवा महल, अनपढ़, बंदिनी, चित्रलेखा, हम सब उस्ताद हैं, पूनम की रात, दिल ने फिर याद क्या, सीआईडी, जीने की राह, अभिनेत्री, शिकार, भाई हो तो ऐसा, दिल दौलत और दुनिया, अनीता और बहारों के सपने फिल्म शामिल हैं।

बेला बोस की अंतिम प्रमुख फिल्म की बात करें तो उसमें 1980 में आई फिल्म ‘सौ दिन सास के’ है। लेकिन उसके बाद 2003 में इन्होंने एक सीरियल ‘ज़मीन से आसमान तक’ में भी काम किया।

जय संतोषी माँके नायक से की शादी

बेला बोस जिस समय सफलता के शिखर पर थीं उसी समय 1967 में बंगला फिल्मों के मशहूर अभिनेता आशीष कुमार से उन्होंने शादी कर ली। बेला और आशीष शादी से पहले ‘बीवी और मकान’ जैसी हिन्दी फिल्मों में साथ काम कर चुके थे। आशीष कुमार ने हिन्दी की कई धार्मिक फिल्मों में भी काम किया। फिल्म इतिहास की सर्वाधिक सफल फिल्म ‘जय संतोषी माँ’ (1975) में तो आशीष कुमार नायक थे और बेला ने इस फिल्म में नेगेटिव रोल किया था।

कुछ धार्मिक फिल्मों का निर्माण भी किया

‘जय संतोषी माँ’ में आशीष सह निर्माता भी थे। इस फिल्म की सफलता के बाद आशीष और बेला ने साथ मिलकर कई धार्मिक फिल्मों का निर्माण भी किया। जिनमें राजा हरिश्चंद्र, सोलह शुक्रवार और बद्रीनाथ धाम जैसी फिल्में भी हैं। हालांकि आशीष का निधन 2013 में ही हो गया।

इनके दो बच्चे हैं बेटा अभिजीत सेनगुप्ता और बेटी मंजुश्री गोपीनाथ। बेटी डॉक्टर है। अभिजीत ने पहले अभिनय भी किया लेकिन सफलता ना मिलने पर वह एमबीए करके अलग दिशा में चले गए।

बहुमुखी प्रतिभा की थीं धनी, बेटी मंजूश्री भी है चित्रकार

फिल्मों से अलग होने पर बेला बोस अपने बेला सेनगुप्ता नाम से मुंबई में ही रह रही थीं। देखा जाए तो वह बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं। वह कुशल अभिनेत्री तो थी हीं, मणिपुरी शास्त्रीय नृत्य में भी पारंगत थीं। साथ ही वह पश्चिम नृत्यों से लेकर आदिवासी और लोक नृत्यों को भी बखूबी कर लेती थीं। दूसरी और वह एक तैराक भी थीं और एक अच्छी चित्रकार भी।

उनकी बेटी मंजूश्री भी एक खूबसूरत चित्रकार हैं। अपनी बेटी के कमाल के पेंसिल स्केच वह अक्सर सोशल मीडिया पर भी साझा करती रहती थीं।

भगवान कृष्ण और पीएम नरेन्द्र मोदी की थीं मुरीद

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भगवान श्रीकृष्ण की तो वह मुरीद थीं। देश दुनिया में क्या हो रहा है। भारत किस तरह नए शिखर छू रहा है, इस सब पर भी उनकी बराबर नज़र रहती थी।

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