जन्माष्टमी पर वृन्दावन जाने से पहले जानिए बाँके बिहारी मंदिर की मंगला आरती, अन्य कार्यक्रमों और निर्देशों के बारे में, इन बातों का रखें विशेष ध्यान

  • संगीता सरदाना

भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के लिए मथुरा-वृन्दावन पूरी तरह सज चुके हैं। ठाकुर श्री बांकेबिहारी जी महाराज के सुप्रसिद्द मंदिर में जन्माष्टमी पर साल का सबसे बड़ा आयोजन होता है। इस वर्ष भी 7 सितंबर को जन्माष्टमी का भव्य उत्सव धूमधाम से मनाने की तैयारी मंदिर समिति ने की है।

बांकेबिहारी मंदिर में वर्ष में केवल एक बार जन्माष्टमी के मौके पर अर्धरात्रि में मंगला आरती होती है। इसलिए 7 सितंबर अर्धरात्रि में मंगला आरती की विशेष तैयारियों के साथ 8 सितंबर को श्रंगार आरती और फिर नंदोत्सव (दधिकांदौ) का आयोजन होगा।

मंदिर ने इस संबंध में 7 और 8 सितंबर को जो कार्यक्रम बनाए हैं, वे तो हम आपको बता ही रहे हैं। साथ ही मंदिर ने इन दो दिनों में भारी भीड़ को देखते हुए जो निर्देश जारी किए हैं, वे भी बता रहे हैं। साथ ही अपनी ओर से भी कुछ परामर्श दे रहे हैं। जिससे मंदिर जाते समय भक्त जन असुविधा से बच सकें।

7 सितंबर और 8 सितंबर को दर्शन और विभिन्न आरती के कार्यक्रम

7 सितंबर को जन्माष्टमी के दिन, बांकेबिहारी जी के दर्शन के लिए मंदिर 7.45 यानि पौने 8 बजे खुल जाएगा। पहली श्रंगार आरती 7 बजकर 55 मिनट पर होगी। तत्पश्चात 11 बजकर 55 मिनट पर राजभोग आरती होगी। दोपहर 12 बजे छींटा देकर पर्दाबंद रस्म होगी।

इसके बाद दर्शन का समय शाम 5.30 से रात 9.25 तक रहेगा। चार घंटे के इस दर्शन कार्यक्रम के बाद 9 बजकर 25 मिनट पर शयन भोग आरती होगी। पाँच मिनट बाद छींटा देकर पर्दाबंद की रस्म और फिर रात 12 बजे महाभिषेक का मुख्य कार्यक्रम होगा। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के इस पावन पर्व में शामिल होने के लिए देश-विदेश के असंख्य श्रद्धालु वहाँ मौजूद रहेंगे।

इसके बाद 8 सितंबर की तारीख शुरू हो जाएगी। रात्रि 1.45 से दर्शन के लिए कपाट खुलेंगे। एक बजकर 55 मिनट पर वह मंगला आरती होगी जिसकी प्रतीक्षा भक्त पूरे साल करते हैं। फिर 2 बजे छींटा देकर पर्दाबंद होगा। मंगला आरती के बाद 2 बजे से सुबह 5.30 तक दर्शन का सिलसिला चलता रहेगा। तत्पश्चात 7 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजे तक नंदोत्सव दर्शन का कार्यक्रम रहेगा।

जन्माष्टमी समारोह के लिए मंदिर जाने पर निम्न बातों का रखें विशेष ध्यान  

-भक्त अपने साथ किसी प्रकार का थैला-बैग अथवा कोई कीमती सामान ना लाएँ।

-मंदिर में आने और जाने के लिए प्रवेश और निकास के दो अलग द्वार बनाए गए हैं। उसी के अनुरूप अपना प्रवेश और निकासी करें।

-श्रद्धालुओं के लिए जूते चप्पल रखने की व्यवस्था मंदिर की ओर जुड़ने वाले सभी मुख्य द्वारों पर की गयी है। इसलिए जूते चप्पल बाहर के उन्हीं द्वारों पर उतारकर मंदिर की ओर बढ़ें। जूते चप्पल यदि मंदिर के मुख्य द्वार तक ले गए तो आपको कठिनाइयों का सामना करना पड़ जाएगा।

-साथ ही भक्त अपने मोबाइल, गले की चैन या अन्य आभूषणों और पर्स आदि का विशेष ख्याल रखें। असामाजिक तत्व इस मौके का लाभ उठाकर चोरी-लूट के प्रयास में आस-पास मंडराते रहते हैं। इसीलिए बेहतर यही है कि घड़ी और आभूषण आदि तो ना ही पहनें। जेब में धन राशि भी ज्यादा ना रखें।

-जन्माष्टमी के कारण वृन्दावन-मथुरा में भीड़ बहुत ज्यादा रहेगी। इससे यातायात व्यवस्था में बाधा और यातायात जाम की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसलिए वृन्दावन जाने से पहले ऐसी स्थिति का आकलन कर लें। और यदि ऐसी समस्या आती है तो अपने साथ जल,खाने के थोड़े बहुत पदार्थ और जरूरी दवाई आदि अवश्य रखें।

-जो व्यक्ति अस्वस्थ, असहाय हैं और जो उपवास रखे हुए हैं वे अपने स्वास्थ को ध्यान में रखकर ही मंदिर आयें। मंदिर ने तो छोटे बच्चों, दिव्यांग जनों, रोगियों और बुजुर्गों को अत्याधिक भीड़ के दौरान मंदिर न आने का परामर्श दिया है।

-अपने साथ आए बच्चों या बुजुर्गों की जेब में घर के पते, उनके नाम और साथ आए व्यक्तियों के नाम और मोबाइल नंबर की पर्ची भी अवश्य रखें। जिससे बिछुड़ने पर साथ आए लोगों से संपर्क कराया जा सके। इसके लिए मंदिर ने  बाँके बिहारी जी की पुलिस चौकी पर खोया–पाया केंद्र बनाया है।

-आप सभी के लिए जन्माष्टमी शुभ रहे। बाँके बिहारी जी की कृपा हम सभी पर बनी रहे यही कामना। शुभ जन्माष्टमी। राधे-राधे। जय श्रीकृष्ण। बोलो बाँके बिहारी भगवान की जय।

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