जाने माने बांसुरी वादक राजेन्द्र प्रसन्ना ने कहा दुनियाभर में लोकप्रिय हो रही है बांसुरी

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक 

एक लंबे अंतराल के बाद हाल ही में प्रसिद्द बांसुरी वादक पंडित राजेन्द्र प्रसन्ना (Pandit Rajendra Prasanna) से मुलाक़ात हुई तो अच्छा लगा। प्रसन्ना (Rajendra Prasanna) आज के दौर के उन कुछेक बांसुरी वादकों में एक हैं,जो बांसुरी की मधुर धुनों की यात्रा को अच्छे से जारी रखे हैं। 

बनारस घराने के राजेन्द्र प्रसन्ना (Rajendra Prasanna) के दादा गौरी शंकर, पिता रघुनाथ प्रसन्ना और चाचा भोलेनाथ प्रसन्ना और विष्णु शर्मा सभी संगीत के दिग्गज रहे हैं। राजेन्द्र प्रसन्ना (Rajendra Prasanna) ने तो अपने इन पूर्वजों से सीखा ही। यहाँ तक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया (Pandit Hariprasad Chaurasia) भी भोलेनाथ प्रसन्ना के शार्गिद रहे हैं।

इधर अब हाल ही में, फ्रांस और जर्मनी में अपने कार्यक्रम करके लौटे राजेन्द्र प्रसन्ना (Rajendra Prasanna) अपनी इस यात्रा से काफी प्रसन्न लगे। मैंने उनसे पूछा- आप तो बरसों से विश्व के कई देशों में अपने कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे हैं। इस बार इतनी प्रसन्नता का कोई खास कारण?

प्रसन्ना (Rajendra Prasanna) बताते हैं-‘’इसके दो कारण हैं। एक यह कि यह पहला मौका था जब मैंने अपने तीनों बेटों राजेश, ऋषभ और रितेश के साथ मिलकर विदेश में अपनी प्रस्तुति दी। फिर हमारी यह प्रस्तुति जर्मनी के हैम्बर्ग के जिस ऑडिटोरियम में हुई वहाँ पंडित रवि शंकर, ज़ाकिर हुसैन और अमजद अली खान जैसी संगीत विभूतियाँ भी अपने कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुकी हैं। उसी ऑडिटेरियम में हमने भी भारत का प्रतिनिधित्व किया यह भी प्रसन्नता की बात थी। दूसरा जो हमको एक और बड़ी प्रसन्नता हुई वह यह कि हमारे बांसुरी वादन को सुनने के लिए वहाँ दूर दूर तक बहुत लंबी कतार लगी थी। विदेशों में बांसुरी और अपने प्रति लोगों का यह उत्साह देख हम अभिभूत थे।‘’

इधर अपने देश में बांसुरी के प्रति आप श्रोताओं का कैसा रुझान देख रहे हैं ? यह पूछने पर प्रसन्ना बताते हैं-‘’मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि कई प्रकार के पश्चिमी वाद्य यंत्र आने के बाद भी बांसुरी की लोकप्रियता जहां दुनिया भर में बढ़ रही है। वहाँ अपने देश में भी लोगों का बांसुरी प्रेम काफी बढ़ गया है। अनेक लोग बांसुरी सुनने के लिए ही नहीं बांसुरी सीखने के लिए भी लालालियत हैं। युवक ही नहीं युवतियों की भी बांसुरी के प्रति दीवानगी देखते ही बनती है।

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