राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन की भव्य शुरुआत, आरिफ मोहम्मद खान बोले संस्कृत का मतलब भारत

आज तिरुपति में राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन ‘संस्कृत समुन्मेष’ का भव्य शुभारंभ हो गया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन साहित्य अकादेमी, राष्ट्रीय संस्कृत विद्यालय, तिरुपति और संस्कृति फाउंडेशन मैसूर के संयुक्त तत्त्वावधान में किया जा रहा है।  सम्मेलन की शुरुआत  वैदिक मंत्रोच्चार और मां सरस्वती के आह्वान से हुई।

सम्मेलन के मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल और प्रखर विद्वान आरिफ मोहम्मद खान थे। उद्घाटन के मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा  कि संस्कृत प्राचीन सभ्यता और उसकी मूल्य प्रणाली की संरक्षक रही है। संस्कृत के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। क्योंकि इसकी संस्कृति का आधार संस्कृत ही है। इस तरह के सम्मेलन से आम लोगों और विद्वानों के बीच जागरूकता आयेगी।

अपने संबोधन से पहले राज्यपाल ने संस्कृत विज्ञान प्रदर्शनी, पांडुलिपि गैलरी, वर्णमाला गैलरी और पुस्तक प्रदर्शनी आदि का अवलोकन किया।

उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति एन. गोपालस्वामी, संस्कृति मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव और वित्त सलाहकार रंजना चोपड़ा, संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव उमा नंदूरी, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम् के कार्यकारी अधिकारी ए.वी. धर्म रेड्डी भी उपस्थित थे।

आरंभिक वक्तव्य राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के उपकुलपति जी.एस.आर. कृष्णमूर्ति एवं समापन वक्तव्य साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने प्रस्तुत किया ।

सम्मेलन के तीन दिनों में आठ सत्रों में अष्टावधानम् , संस्कृत एवं योग, संस्कृत एवं भारतीय संगीत, संस्कृत एवं नृत्य और संस्कृत नाटकों पर विभिन्न सत्रों के अलावा कवि सम्मेलन, छात्रों द्वारा कथा वाचन, रामायण के सुंदरकांड पर केंद्रित सत्रों के साथ-साथ विभिन्न प्रस्तुतियाँ भी होंगी।

सम्मेलन के आरंभ में स्वागत वक्तव्य साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवास राव ने दिया। श्री राव ने बताया कि सम्मेलन में संस्कृत के लगभग 60 प्रमुख लेखक एवं विद्वान सहभागिता कर रहे हैं।

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