न्यायाधीशों की कोई सार्वजनिक तौर पर जांच नहीं होती,

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम बहस भारत में एक लंबे समय तक चलने वाला मुद्दा बना हुआ है। जैसा कि सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सत्ता का संघर्ष जारी है, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में एक सरकारी प्रतिनिधि रखने के कानून मंत्री किरेन रिज्जू के सुझाव ने आग में घी डालने का काम किया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने आज कहा कि हालांकि न्यायाधीशों को चुनाव या सार्वजनिक जांच का सामना नहीं करना पड़ता है, फिर भी वे जनता की नजर में होते हैं। उन्होंने कहा, “लोग आपको देख रहे हैं..आप जो जजमेंट देते हैं, आप कैसे काम करते हैं..सोशल मीडिया के इस युग में आप कुछ भी नहीं छिपा सकते।
किरेन रिजिजू ने कहा कि मैंने सीजेआई को एक पत्र लिखा, जिसके बारे में किसी को नहीं पता था। पता नहीं किसे कहां से पता चला और खबर बना दी कि क़ानून मंत्री ने सीजेआई को पत्र लिखा कि कॉलेजियम में सरकार का प्रतिनिधि होना चाहिए। इस बात का कोई सर पैर नहीं। मैं कहां से उस प्रणाली में एक और व्यक्ति डाल दूंगा। भारत में लोकतंत्र सिर्फ जीवित ही नहीं बल्कि मजबूती से आगे चले उसके लिए एक मज़बूत और आज़ाद न्यायपालिका का होना जरूरी है।

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