-20 सम्मेलन की मेजबानी से ही विश्वगुरु बनने का राह प्रशस्त

वाराणसी । रोजगार के पर्याप्त अवसर प्रदान करने से ही सम्पूर्ण विकास सम्भव होगा । जिसमें कौशल विकास के माध्यम से रोजगार का अवसर मिल सकता है। गांधी जी के विचारों के अनुसार हमें संशाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिये,चाहे वह पानी हो या जीवाश्म ईंधन या कुछ और। ये उद्गार अर्थशास्त्री प्रो. सत्येंद्र नाथ चतुर्वेदी के हैं। प्रो. चतुर्वेदी शनिवार को जी-20 सम्मेलन के प्रचार-प्रसार के परिप्रेक्ष्य में समावेशी विकास,भारतीय विकास संरचना एवं वैश्विक विकास,आत्मनिर्भर भारत अभियान” विषयक गोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के योग साधना केन्द्र में आयोजित गोष्ठी में उन्होंने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि विदेशी चकाचौंध से दूर रहकर व्यक्ति स्वदेशी का अनुपालन करता हो जिसमें स्वदेशी न केवल वस्त्रों का बल्कि स्वदेशी बोलचाल, भाषा, संस्कृति व आचरण का भी हो। तभी हम विकास के पथ पर अग्रसर होंगे। विज्ञान प्राकृतिक संशाधनों का विकास करके ही विकास कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जी-20 की मेजबानी भारत के करने से ही विश्वगुरु बनने का राह प्रशस्त हो रहा है।

गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रो.रामपूजन पांडेय ने कहा कि पर्यावरण को सुरक्षित रखकर ही हम वास्तविक विकास के पथ पर चल सकेंगे। हम अपनी संस्कृति एवं संस्कार के अनुसार चलें,अपने खानपान को बनाए रखेंगे। जिसमे मोटा अन्न का उपयोग होगा तभी हम स्वस्थ रहेंगे। गोष्ठी का प्रस्तावना रख प्रो. शैलेश कुमार मिश्र ने कहा कि जी-20 सम्मेलन का श्रुति वाक्य महा उपनिषद, एक प्रागैतिहासिक संस्कृत ग्रंथ, “वसुधैव कुटुम्बकम” या “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” की प्रेरणा है, जो भारत के जी—20 की अध्यक्षता के विषय के रूप में कार्य करता है। प्रो. मिश्र ने कहा कि जी-20, सम्मेलन की 5 बैठकें वाराणसी मे होंगी,इसे सांस्कृतिक धरोहर के रूप मे रखा गया है ।

Others Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button