श्याम जाजू ने किया सुनील सोनी और सीमा सेतुमाधवन की पुस्तक ‘बैक टू वैदिक रूट्स’ का विमोचन, वैदिक काल और सात्विक भोजन की अनुपम गाथा

कृतार्थ सरदाना। देश के जाने माने शेफ सुनील सोनी (Chef Sunil Soni) और सीमा सेतुमाधवन (Chef Seema Sethumadhavan) की पुस्तक ‘बैक टू वैदिक रूट्स’ (Back To Vedic Roots Book) प्रकाशित होते ही सुर्खियों में आ गयी है। यह अनुपम पुस्तक जहां वैदिक काल के खान–पान के महत्व को दर्शाती है। वहाँ यह भी कि सात्विक भोजन स्वस्थ जीवन और स्वस्थ मस्तिष्क के लिए बेहद जरूरी है।

हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता श्याम जाजू (Shyam Jaju) ने दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब (Constitution Club of India) में इस पुस्तक का विमोचन किया तो सभी ने इस पुस्तक की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।

श्री जाजू (Shyam Jaju) ने कहा- “बैक टू वैदिक रूट्स’ पुस्तक (Back To Vedic Roots Book) में जिस प्रकार से सात्विक भोजन की उपयोगिता और उसके गुणों को समझाया गया है, वह निश्चय ही काबिल-ए-तारीफ है। इसके लिए मैं सुनील सोनी (Chef Sunil Soni) और सीमा सेतुमाधवन (Chef Seema Sethumadhavan) को बधाई देता हूँ। मुझे खुशी है कि आज देश में जो नेतृत्व है वह वैदिक काल के महत्व को भली भाँति समझ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी (PM Narendra Modi) ने मिलेट्स (Millets) यानि मोटे अनाज की उपयोगिता पर बल देते हुए इसे फिर से लोकप्रिय बना दिया है। गेंहू और चावल से पहले हमारे देश में प्राचीन काल से बाजरा और ज्वार का खाने में उपयोग किया जाता था। लेकिन बाद में धीरे धीरे इसे भुला दिया गया। लेकिन अब एक बार फिर हम वैदिक काल की ओर जा रहे हैं।‘’

श्री जाजू ने कहा-‘’पीएम मोदी (PM Modi) ने जहां योग को विश्व योग दिवस के रूप में वैश्विक मान्यता दिलाकर विश्वभर में पहुंचा दिया। वहाँ वे आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के साथ मोटे अनाज के महत्व को भी, जग को अच्छे से समझाने में सफल हुए हैं। इतना ही नहीं हमारी पार्टी की कार्यकारिणी की सभा में भी अब मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थ परोसे जाते हैं। ‘बैक टू वैदिक रूट्स’ पुस्तक (Back To Vedic Roots Book) में भी सात्विक भोजन और मोटे अनाज को लेकर जो व्यंजन विधि दी गयी हैं, उन्हें अपनाकर हम अपना तन और मन दोनों स्वस्थ रख सकते हैं।‘’

इस पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान जहां देश के कई जाने माने शेफ मौजूद थे। वहाँ पोषण विशेषज्ञों, आतिथ्य पेशेवरों, शिक्षाविद, चिकित्सकों के साथ प्रशासनिक अधिकारी, कला और राजनीति गलियारे के व्यक्ति भी समारोह में शामिल थे। जिनमें श्वेता सैनी, अशोक शर्मा, अनुराधा शर्मा, रिमझिम सैकिया, डॉ सुशील कुमार, राजीव गुप्ता, सुशील जोशी, करिश्मा सेठी, सुवेन्दु बनर्जी और अमरजीत सिंह बिजली जैसे नाम भी हैं। साथ ही कमल कांत पंत, सुनील जोशी, शेफ मंजीत गिल, जसपाल सबरवाल, शेफ विश्वास, संगीता बहुगुणा, कविता बहुगुणा और संजय शर्मा भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का खूबसूरत संचालन स्वाति कुमार ने किया।

समारोह में वरिष्ठ पत्रकार, संपादक और जाने माने स्तंभकार एवं फिल्म समीक्षक प्रदीप सरदाना (Pradeep Sardana) ने भी पुस्तक को लेकर मंच पर अपने विचार व्यक्त किए।

श्री सरदाना (Pradeep Sardana) ने कहा- ‘’मैंने पिछले 40 बरसों में अनेक पुस्तकों की समीक्षा की है। जिनमें खान-पान पर आधारित पुस्तकें भी हैं। साथ ही देश भर के कितने ही ढाबों से रेस्ट्रा और पंचतारा होटलों तक खान-पान का भी मुझे लंबा अनुभव है। लोग अक्सर स्वादिष्ट खाना, सस्ता खाना या या खूबसूरत और आरामदायक वातावरण में खाना खाने की बात करते हैं। लेकिन कोई यह नहीं पूछता कि अच्छा पौष्टिक खाना कहाँ मिलेगा ? लेकिन सुनील सोनी और सीमा सेतुमाधवन की यह पुस्तक स्वस्थ, स्वच्छ-सात्विक और पौष्टिक भोजन पर विस्तार से बहुत कुछ कहती है। पुस्तक में भोजन-खाद्य पदार्थों को वैदिक युग से जोड़कर स्पष्ट संदेश दिया है कि बेहतर ज़िंदगी के लिए आज भी, उस युग का भोजन ही एक मात्र विकल्प है। पुस्तक में मोटे अनाज, मसालों और सब्जियों-फलों के औषधीय गुणों तथा उनकी विशेषताओं-उपयोगिताओं पर भी विस्तार से बताया है। पुस्तक को पढ़कर, उसे अपनाकर लोग अपने अस्वस्थ और असंतुलित जीवन को स्वस्थ और संतुलित कर सकते हैं। भोजन सिर्फ शारीरिक शक्ति के लिए ग्रहण नहीं करना चाहिए। भोजन वही जो शक्ति के साथ अच्छा स्वास्थ, संतुष्टि और प्रसन्नता भी दे।‘’

इस मौके पर सुनील सोनी (Chef Sunil Soni) ने अपनी पुस्तक को लेकर कहा- “हमारी यह पुस्तक वैदिक व्यंजनों का एक संग्रह है। व्यंजन ऐसे हैं जिन्हें घर पर आसानी से बनाया जा सकता है। पुस्तक में हमने जहां पौष्टिक, सात्विक भोजन के महत्व को बताया है। वहाँ यह भी कि शाकाहारी, सात्विक भोजन की परंपराएं क्या हैं। वेदों में भोजन को बनाने से लेकर और उसे परोसने और खाने तथा पचाने की प्रक्रिया को लेकर क्या क्या मान्यताएं हैं। यह एक ऐसी पुस्तक है जो पाक कला के कई गुण बताती है। हमने ‘बैक टू वैदिक रूट्स’ को कुछ इस तरह से लिखा है कि यह घर-परिवार के लिए भी उपयोगी हो और होटल-रेस्तरा के लिए भी। यहाँ तक शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल होने पर यह पुस्तक स्वस्थ जीवन का एक अहम माध्यम बन सकती है।‘’

 

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