रबीन्द्रनाथ टैगोर गांधी को महात्मा कहते थे और महात्मा गांधी उन्हें गुरूदेव कहा करते थेः प्रो

लखनऊ । रबीन्द्रनाथ टैगोर गांधी जी को महात्मा कहते थे और महात्मा गांधी उन्हें गुरूदेव कहा करते थे। यह बात अशोका यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. रूद्रांशु मुखर्जी ने आज यानि बुधवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित कामरेड शंकर दयाल तिवारी की 102वीं जयंती पर हुए अपने व्याख्यान में कही। प्रो. मुखर्जी ’टैगोर और गांधीः ए लेगेसी ऑफ पब्लिक रीजनिंग’ पर अपना व्याख्यान दे रहे थे। व्याख्यान का संयोजन उनके सुपुत्र और फिल्म अभिनेता, फिल्म पटकथा लेखक व नाटकार अतुल तिवारी ने किया।

इससे पहले प्रो. मुखर्जी ने कामरेट शंकर दयाल तिवारी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धाजंति अर्पित की और कहा कि 1936 में इसी लखनऊ में कांग्रेस के अध्यक्ष होते हुए किसी के लिए अपने भाषण की शुरूआत कामरेड से की थी, आज मै भी इसी शहर में एक दूसरे कामेरड के लिए इसी शब्द से शुरुआत कर रहा हूं। और कहा कि मेरी याद में इसे पहले मैंने किसी क्लास को इतने लंबे समय तक लिया हो। उन्होंने बताया कि साल 1945 में दिसम्बर के आखिरी सप्ताह में गांधी कहीं पर एक प्रश्न का उत्तर देते हैं मुझे नहीं याद है कि हमारे और गुरूदेव के बीच कभी किसी बात पर विवाद हुआ हो। गुरूदेव ने भी अपने एक पत्र में लिखा था कि भारत का यह सौभाग्य है कि इस तरह का व्यक्ति मिला हैं। एक तपस्वी के रूप में फरिशता मिला है। मैं आनंद का कवि हूं। इस तरह सेे गांधी और प्रो. मुखर्जी ने गांधी और टैगोर के बीच की बहुत से बातें बताई।

इससे पहले उनके सुपुत्र अतुल तिवारी ने अपने पिता के बारे में नए लोगों संक्षिप्त जानकारी दी। बताया कि आज वह होते तो 102 साल के होते है। वह होम्योपैथ डाक्टर थे। कामरेड तिवारी के करीबी रहे प्रेमनाथ राय ने उनसे जुड़ी कुछ बातों को साझा करते हुए बताया कि उनके इसी शहर में मिला था। बाद में उनका काफी साथ मिला।

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