वित्तपोषित महाविद्यालयों को प्रेरित करने पर होगा शुरुआती जोर

गोरखपुर । नैक मूल्यांकन में ”ए प्लस-प्लस” ग्रेड हासिल करने से उत्साहित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब अन्य शिक्षण संस्थानों को बेहतर ग्रेड हासिल करने का तरीका बताने की योजना बनाई है। अब विश्वविद्यालय अपने इंक्यूबेशन सेंटर के जरिये नैक स्टार्टअप लगाने जा रहा है। इसके जरिये इच्छुक महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को नैक मूल्यांकन के लिए ट्रेनिंग से लेकर ग्रेड दिलाने तक में मदद करेगा। शुरु में वित्तपोषित महाविद्यालयों को प्रेरित करने पर जोर होगा। इसे सीखने वाले शिक्षण संस्थानों से फीस भी लिया जायेगा।

दो रूप में देनी होगी फीस

यहां पर अब शुल्क को दो रूप में देना होगा। केवल ट्रेनिंग लेने वाले संस्थानों से केवल ट्रेनिंग की फीस ली जाएगी, लेकिन जिन शिक्षण संस्थानों की डिमांड ट्रेनिंग से लेकर एसएसआर रिपोर्ट अपलोड करने और नैक टीम का दौरा कराने में मदद करने की होगी, उनसे पूरे पैकेज की फीस ली जाएगी।

”नो-प्राफिट नो-लास” पर होगा काम

यह स्टार्टअप ”नो प्राफिट-नो लास” के फार्मूले पर काम करेगा अर्थात उतनी ही फीस ली जाएगी, जिससे स्टार्टअप को सुचारू रूप से चलाया जा सके। इससे सम्बन्धित संस्थानों को आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ेगा।

ग्रुप की तलाश शुरू हुई

विश्वविद्यालय ने स्टार्टअप के लिए ग्रुप की तलाश शुरू कर दी है। कई विभागों को आफर भी दिया गया है। सामने आने वाले विभागों में से ही उद्देश्य की दृष्टि से मूल्यांकन के बाद जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इच्छुक यूनिट को कार्य-योजना के साथ विश्वविद्यालय बोर्ड के सामने आना होगा। इससे उनका मूल्यांकन करना आसान होगा।

नैक विशेषज्ञों को आमंत्रित करेगा विश्वविद्यालय

नैक मूल्यांकन की ट्रेनिंग के लिए विश्वविद्यालय की योजना है कि देश भर के नैक विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जय। जो किसी ने किसी रूप में कभी न कभी नैक से जुड़े रहे हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। नैक के सभी मानकों पर अलग-अलग ट्रेनिंग देने की भी योजना है। इसमें नैक का ए प्लस-प्लस ग्रेड दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले विश्वविद्यालय के क्राइटेरिया क्वार्डिनेटरों का इस्तेमाल किया जायेगा।

कुलपति ने कहा

कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने बताया कि नैक का मूल्यांकन के सम्बन्ध में बहुत से महाविद्यालयों को जानकारी नहीं है। इसकी जरूरत, फायदे और नुकसान की जानकारी के बारे में पूरी तरह अनभिज्ञ हैं। विश्वविद्यालय स्टार्टअप से उन्हें इस बारे में बताया जायेगा। बेहतर ग्रेड दिलाने में भी विवि भूमिका निभाएगा। शुरु में वित्तपोषित महाविद्यालयों को प्रेरित करने पर जोर होगा।

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