राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में फिजी का सहयोगी बनना भारत का सौभाग्य

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि फिजी के राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में उसका साझीदार बनना भारत के लिए सौभाग्य की बात है। जयशंकर ने रेखांकित किया कि दोनों देशों के बीच लोगों के आपसी संबंधों के जरिए ‘‘निकट एवं पुराने संबंध’’ रहे हैं। जयशंकर ने फिजी के प्रधानमंत्री सित्विनी राबुका के साथ यहां एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत एवं फिजी ने वीजा छूट समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इससे दोनों देशों के बीच यात्रा को प्रोत्साहित करने में निश्चित ही काफी मदद मिलेगी।उन्होंने कहा, ‘‘भारत और फिजी के बीच घनिष्ठ और पुराने संबंध हैं और मुझे लगता है कि इसमें दोनों देशों के लोगों के आपसी संबंधों का बड़ा योगदान है।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘फिजी के राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में उसके साथ स्वास्थ्य, शिक्षा एवं कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्रो में साझीदार बनना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। हमने गन्ना उद्योग में परियोजनाएं की हैं। हमने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में मिलकर काम किया है और हमने आज वार्ता के दौरान आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) और मध्यम एवं लघु उपक्रमों के क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा की। हमारे सामने वास्‍तव में बहुत ही ठोस द्विपक्षीय एजेंडा है।’’ दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत समेत साझा हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।

जयशंकर ने कहा, ‘‘हमने अंतरराष्ट्रीय संगठनों में मजबूती से काम करते हुए अपने बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने की दिशा में और निकटता से काम करने पर सहमति जताई। हमने विशेष रूप से प्रशांत क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया क्योंकि भारत फिजी को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें आगामी महीनों में भारत प्रशांत द्वीप सहयोग मंच (एफआईपीआईसी) के तीसरे शिखर सम्मेलन की सह-मेजबानी करने की उम्मीद है और हम इस अवसर पर फिजी की उपस्थिति और नेतृत्व को निश्चित रूप से महत्व देंगे।’’

हिंद-प्रशांत एक जैव-भौगोलिक क्षेत्र है, जिसमें दक्षिण चीन सागर सहित हिंद महासागर और पश्चिमी एवं मध्य प्रशांत महासागर शामिल हैं। संसाधनों से समृद्ध इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी की पृष्ठभूमि में अमेरिका, भारत एवं दुनिया के अन्य कई देश स्वतंत्र एवं मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दे रहे है। जयशंकर 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में शामिल होने के लिए दक्षिण पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित इस द्वीपीय देश की तीन दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचे हैं।

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