Israel-Hamas War: यूएन में जार्डन के मसौदा प्रस्ताव मतदान में भारत ने नहीं लिया हिस्सा

भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में जॉर्डन के एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया। प्रस्ताव में मानवीय आधार पर, गाजा में इजरायल और हमास आतंकवादियों के बीच तत्काल संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था। हालांकि, इसमें आतंकवादी गुट हमास का कोई उल्लेख नहीं था।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप-स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत योजना पटेल ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि 7 अक्टूबर को इजरायल में हुए आतंकी हमले चौंकाने वाले थे और निंदनीय हैं। बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक गलत विचारधारा है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या जाति नहीं होती। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया को आतंकवादी गतिविधियों के औचित्य को स्वीकार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें मतभेदों को दूर रखकर, एकजुटता दिखाते हुए आतंकवाद को कतई बरदाश्त न करने का दृष्टिकोण अपनाना चाहिये।
योजना पटेल ने कहा कि मानवीय संकट को दूर किये जाने की आवश्यकता है। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के तनाव कम करने के प्रयासों और गाजा के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने का स्वागत किया है और भारत ने भी इस प्रयास में योगदान किया है।
जॉर्डन के प्रस्ताव का शीर्षक है- नागरिकों की सुरक्षा तथा कानूनी और मानवीय दायित्वों को बनाए रखना। प्रस्ताव में 7 अक्टूबर को किए गए हमास के आतंकवादी हमलों का विशेष उल्लेख नहीं किया गया।