स्वरोजगार से रोजगार व स्वावलम्बन पर दो दिवसीय गोष्ठी का समापन
गाजियाबाद । दीनदयाल कामधेनु गौशाला समिति के तत्वावधान में गौवंश से उर्जा विषय पर दो दिवसीय विचार गोष्ठी कैलाश मानसरोवर भवन में आयोजित की गई। जिसमें विशेषज्ञों ने इसकी विशेषता व लाभ पर वैज्ञानिक तथ्यों के साथ जानकारी साझा की।
कार्यक्रम संयोजक डॉ हेमेन्द्र ने कहा कि दीनदयाल गौ विज्ञान के प्रशिक्षण का आयाम प्रारम्भ किया जा रहा है। जिसमें प्रमुख विषय होगा नन-कन्वेशनल उर्जा-गौवंश के उर्जा का उपयोग कैसे की जा सकती है, इस पर शोध कार्य चल रहा है। जिसके डिप्लोमा एवं डिग्री प्रमुख निम्नलिखित विषय रहने वाला है। जिसमें स्वरोजगार से रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने बताया कि पंचगव्य से मनुष्यों की चिकित्सा, आयुर्वेद से पशुओं की चिकित्सा, होम्योपैथिक से पशुओं की चिकित्सा, मेडीटेशन, फार्मिंग, डेयरी टेक्नालॉजी आदि पर जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि इससे पेरिस समझौता को पूर्ण करने में भी सहायता मिलेगी। गाय केवल गोबर व दूध तक सीमित नहीं इसके आगे भी है। गौवंश के प्रति आमजन को जागृत करना प्रमुख विषय है।
ओएनजीसी के चैयरमैन अरुण कुमार सिंह ने आभासी माध्यम से कहा कि प्राइमरी इनर्जी डिमांड 3 प्रतिशत ग्रोथ हो रही है। उसका उत्पादन हम स्वयं करें जिसमें गोवंश भी एक है। उर्जा के चार प्रमुख स्रोत जो हमारे पास उपलब्ध है सौर उर्जा, एनीमल वेस्ट, इथनॅल, काऊ डंक।
पशुपालन विभाग भारत सरकार के आयुक्त अभिजित मित्रा ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि हमारे पास 19 करोड़ गोवंश है, केवल 2 करोड़ दूध देती है। 52 नस्ल है जिसमें से 70 प्रतिशत के नाम नहीं है। भारत सरकार का लक्ष्य 2025 तक गोवंश के नस्ल का नामकरण करना है। गाय का एकमात्र उपयोगिता दूध नहीं। उन्होंने गाय के पालन के लिए भारत सरकार द्वारा किए जा रहे आर्थिक सहयोग की भी चर्चा की।
अखिल भारतीय गौ-सेवा प्रमुख केईएम राघवन ने कहा कि कल आईआईटी दिल्ली से डॉ विजय विजयेंद्र आए थे वहां किए जा रहे कई शोध की चर्चा की। साथ ही वायोगैस के प्रकार पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि 75 प्रतिशत गाय जो दूध नहीं देती ऐसे गाय के गोबर से बायोगैस बनाए। इसके माध्यम से गाय को भी हम बचा लेंगे।
दो दिवसीय इस गोष्ठी का प्रमुख उद्देश्य गो आधारित कृषि, पंचगव्य चिकित्सा, गो-पालन, गो-उत्पाद, गो-उत्पाद बिक्री, टैरेस गार्डन, गो-कथा, गो-उर्जा, गो-विज्ञान परीक्षा था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यवाह प्रमोद शर्मा ने भी कई वैज्ञानिक पहलुओं पर चर्चा की। गोष्ठी का समापन केन्ट आरओ के संस्थापक महेश गुप्ता के अध्यक्षीय वक्तव्य से हुआ।