कांग्रेस में जिलाध्यक्ष पद के लिए अहम रहेगा जातिगत फैक्टर और कांग्रेस का डीएनए : रंधावा
जयपुर । कांग्रेस पार्टी जल्द ही जिलाध्यक्षों की नियुक्ति करेगी। राजस्थान से कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इसके संकेत दिए हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि राजस्थान में जातिगत समीकरण काफी अहम है, इसलिए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में स्थानीय तथा जातिगत फैक्टर पर खरे उतरने वाले कांग्रेस के डीएनए वाले नेताओं को तरजीह दी जाएगी। रंधावा फिलहाल राजस्थान में कोटा के दौरे पर हैं। उन्होंने कहा कि अगले दो दिन में इस पर फाइनल एक्सरसाइज शुरू हो जाएगी। इसके बाद कांग्रेस के रायपुर में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले ही जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
रंधावा ने साफ किया है कि जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए कई आधार पर एक्सरसाइज हो रही है। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि लिस्ट तैयार है और नामों की घोषणा बाकी है। रंधावा ने कहा कि नामों पर एक्सरसाइज अलग से चल रही है। इसे लेकर यह तय है कि किसी भी बाहरी व्यक्ति को जिलाध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा। जिलाध्यक्ष बनाते समय हम ये देखेंगे कि व्यक्ति का डीएनए कम से कम कांग्रेस का होना चाहिए। संगठन बनाते समय हम इन बातों का ध्यान रखेंगे। रंधावा ने साफ तौर पर कहा कि दूसरी पार्टी से आकर बाहरी व्यक्ति विधायक बन सकता है। मगर संगठन में हम कांग्रेस के ही पुराने लोगों को मौका देंगे।
रंधावा ने कहा कि जिलाध्यक्षों के नाम तय करने को लेकर हम जातिगत समीकरण को भी ध्यान में रख रहे हैं। राजस्थान में जातिगत समीकरण काफी मायने रखता है। इसलिए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति जातिगत फैक्टर को देखते हुए होगी। इसके लिए हम अलग से कवायद करेंगे। रंधावा ने कहा कि जातिगत फैक्टर और कांग्रेस का डीएनए हमारे लिए सबसे बड़ा फैक्टर होगा। रंधावा कह चुके हैं कि रायपुर अधिवेशन शुरू होने से पहले नियुक्तियां करेंगे। कांग्रेस अब राजस्थान में 42 जिलाध्यक्षों के पैटर्न पर चल रही है। इसमें से लगभग 35 जिलाध्यक्ष कांग्रेस नए नियुक्त कर सकती है। कांग्रेस ने उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में यह तय किया था कि 180 दिनों के भीतर तमाम नियुक्तियां होंगी। राजस्थान में यह मियाद पूरी हो गई। ऐसे में कांग्रेस कोशिश करेगी कि रायपुर अधिवेशन से पहले कम से कम जिलाध्यक्षों की एक लिस्ट बाहर आ जाए।
राजस्थान में कांग्रेस ने संगठनात्मक नियुक्तियों की शुरुआत 4 जनवरी से कर दी थी। कांग्रेस ने सबसे पहले 100 ब्लॉक अध्यक्ष नियुक्ति किए। तब से अब तक 5 लिस्ट जारी कर कांग्रेस 339 ब्लॉक अध्यक्ष नियुक्त कर चुकी है। अब जो 61 ब्लॉक अध्यक्ष नियुक्त होना बाकी है ये वो ब्लॉक हैं जहां गुटबाजी, खींचतान सहित कई समीकरणों के चलते नामों पर विवाद है। राजस्थान में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। राजस्थान में खींचतान और गुटबाजी चरम पर है। सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक-दूसरे पर अप्रत्यक्ष रूप से हमलावर हैं। ऐसे में इन नियुक्तियों में भी इस खींचतान के चलते सियासी बवाल होने की संभावना है। यही वजह है कि कांग्रेस ने लम्बे समय से ये नियुक्तियां पूरी नहीं की हैं। जबकि 2.5 साल से ज्यादा समय से निवर्तमान पदाधिकारियों के बूते ही कांग्रेस चल रही है।
जुलाई 2020 में पायलट खेमा सरकार से बगावत कर मानेसर चला गया था। उसके ठीक बाद कांग्रेस ने राजस्थान में पूरी कार्यकारिणी को भंग कर दिया था। उसके बाद सिर्फ पीसीसी अध्यक्ष और कुछ पदाधिकारी नियुक्त किए गए। जिलास्तर पर पुरानी टीमें ही काम करती रही।