अपनी जन्म भूमि को न छोड़ें, यह पूर्वजों के त्याग से बसाई गई है: अजय भट्ट

लखनऊ । बीरबल साहनी मार्ग स्थित पं. गोविंद वल्लभ पंत सांस्कृतिक उपवन में चल रहे उत्तरायणी कौथिग मेला जैसे -जैसे अपने अंतिम पड़ाव की ओर पहुंच रहा है, वैसे ही यहां पर लोगों की भीड़ भी आ रही है । यहां पहाड पर बिकने वाले ऊनी कपड़े , खाद्य पदार्थ व और बहुत सी दूसरी चीजें लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। इसके अलावा इस शहर केे वासियों को पहाड़ की संस्कृति भी खूब भा रही है। कौथिग में पर्वतीय अंचल के पहनावे में महिलाएं और पुरुष अपनी संस्कृति की छटा बिखेर रहे हैं। भगवान बागनाथ जी के आशीर्वाद से ही यहां कार्यक्रम हो रहा है। । भारत सरकार के रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट बतौर मुख्य अतिथि कौथिग में शामिल हुए।

मुख्य अतिथि ने इस अवसर पर कहा कि हम लोग यहां पर रहकर अपनी संस्कृति को जीवंत रखे हैं, यह अच्छी बात है । लेकिन आप लोगों को अपने पैतृक गांव भी जाना चाहिए। अपनी जन्म भूमि को कतई न छोड़ें, क्योंकि यह पूर्वजों के त्याग से बसाई गयी धरोहर है। कोरोना काल में कई लोग जो अपने गांव वापस गए, उनके आसरे का एकमात्र सहारा उनके गांव ही बने।

कौथिग में विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में कार्य कर रही कर्मठ विभूतियों को सम्मानित किया गया। इसमें डाॅ. एम सी पंत चिकित्सा सम्मान डाॅ. रितेश जुयाल, दीवान सिह डोलिया कला सम्मान गणेश जोशी, गोपाल उपाध्याय साहित्य सम्मान महेश चन्द सकलानी, युवा सम्मान शंकर पाण्डेय, गौरा देवी सम्मान चित्रा काण्डपाल, खेल सम्मान यश वर्धन सिह नेगी, बी.एम.शाह नाट्य सम्मान पीयूष पाण्डेय व उत्तरायणी विशेष सम्मान पूरन जोशी को दिया गया।

उत्तराखण्ड संस्कृति विभाग के सहयोग से खटीमा उत्तराखण्ड से शंकर सिंह, अशोक खड़का एवं कोमल राणा के निर्देशन में ’व्याख्या जनजागृति सांस्कृतिक समिति’’द्वारा प्रस्तुति दी गई। इसमें किरण राणा गायिका, रविराज गायक नन्दा राजजात यात्रा , एवं देवीधुरा का बग्वाल नृत्य पर मनोहर सिह, अमित, शिव राज ,मधु राणा ,पूजा एवं शीतल शामिल थीं।

सप्ताह का आखिरी होने से कौथिग मैदान आने वाले लोगों से खचाखच भरा हुआ था। उत्तराखण्ड अल्मोड़ा से बाल मिठाई के विक्रेता दीवान सिह बिष्ट व लाल सिह ने बताया कि लोग बाल मिठाई को काफी पसन्द कर रहे हैं।

कौथिग के मंच से रेडक्रॉस सोसाइटी से आए शफीक जमा, रजनीश डोबरियाल (आपदा राहत प्रभारी) व रासवेन्द्र शाही द्वारा वृद्ध, मजदूर सफाई कर्मचारी एवं जरूरतमंदों को लगभग सौ से अधिक कम्बल दिए गए। इसके अलावा सुबह से कई सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।

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