ध्रुपद का ग्वालियर से गहरा रिश्ता है

ध्रुपद के कारण ग्वालियर की ख्याति विश्व भर में

ध्रुपद का ग्वालियर से गहरा रिश्ता है। 15वीं शताब्दी में महाराजा मानसिंह तोमर ने ध्रुपद गायकी को राजाश्रय दिया। उनके प्रयासों से संगीत जगत में ध्रुपद गायकी का परचम लहराया।

उपरोक्त विचार सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने 8 अक्तूबर को, भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान ग्वालियर में आरंभ हुए तीन दिवसीय ध्रुपद समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने कहा शास्त्रीय संगीत मनोरंजन की वस्तु नहीं, संगीत का संबंध आत्मा से होता है। विवेक नारायण इस समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे।

दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र नागपुर, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं चंद्रवंशी महाराजा मानसिंह तोमर फाउंडेशन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर के इस ध्रुपद समारोह के मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह थे।

ध्रुपद के कारण ग्वालियर की ख्याति विश्व भर में

श्री कुशवाह ने कहा-‘ध्रुपद गायकी के कारण ग्वालियर की ख्याति सम्पूर्ण विश्व में है। इस कठिन गायन शैली को बढ़ावा देने के लिये सरकार हर संभव सहयोग कर रही है। साथ ही भारतीय शास्त्रीय संगीत की सबसे प्राचीन गायन शैली ध्रुपद को शिखर प्रदान करने के लिये हम सभी को साझा प्रयास करने होंगे। खुशी की बात है कि केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की पहल पर ग्वालियर में गुरू-शिष्य परंपरा से ध्रुपद गायकी की शिक्षा देने के लिये ध्रुपद केन्द्र की स्थापना हुई है। साथ ही उन्हीं की पहल पर ध्रुपद समारोह भी आयोजित हो रहा है।

इस अवसर पर जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अविनाश तिवारी, आईआईटीटीएम के निदेशक प्रो आलोक शर्मा एवं चंद्रवंशी महाराजा मानसिंह तोमर फाउंडेशन के संरक्षक देवेन्द्र प्रताप सिंह तोमर बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद थे।
समारोह में ग्वालियर के विद्यार्थियों की समूह ध्रुपद गायन की प्रस्तुति में योगिनी तांबे, तेजस भाटे, साकेत कुमार, गुलाब प्रजापति व कमलेश शाक्य ने हिस्सा लिया। जिसका संयोजन सुदीप भदौरिया ने किया।
समारोह में अनुज प्रताप सिंह व यखलेश बघेल की ध्रुपद जुगलबंदी ने समा बांध दिया। उन्होंने अपने गायन के लिए राग “बागेश्री” का चयन किया। इस राग में दोनों कलाकारों ने ही पहले आलाप,जोड-झाला के बाद चौताल मे निबद्ध रचना “आये रघुवीर धीर अयोध्या नगर को लंका पति हनन कीयो राज दियो विभीषण को” की दिलकश प्रस्तुति दी।

बाद में जलद सूलताल में  दोनों करतार तुम राज साज’रचना पेश की। इस युगल ध्रुपद गायकी में पखावज पर मध्यप्रदेश शिखर सम्मान से विभूषित पंडित संजय आगले ने खूबसूरत संगत दी।

Others Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button