World Heart Day 2024: दिल का मामला है कुछ तो करो यत्न, सर्वाधिक मौतें हृदय रोग के कारण, कैसे करें बचाव, क्या कहते हैं डॉक्टर
- प्रदीप सरदाना
वरिष्ठ पत्रकार
World Heart Day 2024: दिल इंसान का एक छोटा और बेहद कोमल अंग है। लेकिन इस छोटे से दिल को लेकर यदि इंसान लापरवाह हो जाये तो सामने मुसीबतों और कष्टों का पहाड़ खड़ा हो जाता है। यूं दिल को लेकर आम तौर से जब भी कोई बात होती है या दिल को लेकर जब भी कोई गीत सुनने को मिलते हैं तो उसमें प्यार, मोहब्बत की बातें ही होती हैं। लेकिन पूरे विश्व में यह प्रेम का प्रतीक दिल, जिस तरह रोगों से घिर रहा है, उसी का नतीजा है कि आज विश्व में सर्वाधिक मौतें सिर्फ दिल के रोगों के कारण होती हैं।
दिल सुरक्षित रहे और हमेशा अच्छी ध्वनि और अच्छी सेहत के साथ धक धक करता रहे, इस बात की चिंता पिछले कई बरसों से संयुक्त राष्ट्र को भी सता रही है। इसी चिंता के कारण ही सन 2000 में ‘विश्व हृदय दिवस’ (World Heart Day) मनाने की पहल की गयी। इस बार भी भारत सहित लगभग पूरे विश्व में 29 सितंबर को ‘विश्व हृदय दिवस’ (World Heart Day) मनाया जा रहा है। पिछले इन 24 बरसों से ‘विश्व हृदय दिवस’ को लेकर दिल्ली में जो कार्यक्रम आयोजित होते हैं, उनमें मैं लगातार शामिल होता रहा हूँ।
इस बार की थीम ‘यूज हार्ट फॉर एक्शन’
विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रति वर्ष कोई एक थीम रखता है। इस बार की थीम है ‘यूज हार्ट फॉर एक्शन’ अर्थात हृदय का उपयोग कार्य के लिए करे, कार्रवाई के लिए करें। इसको लेकर ‘विश्व हृदय संघ’ (वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन) लोगों को जागरूक करने के लिए एक विशेष अभियान चला रहा है। जिससे वैश्विक मंच पर हृदय संबंधी स्वास्थ्य को गंभीरता से लिया जा सके।
संगठन का कहना है- “यह 2024 विश्व हृदय दिवस अभियान हर देश को राष्ट्रीय हृदय स्वास्थ्य कार्य योजनाओं को विकसित करने या समर्थन करने के लिए प्रेरित करने के लिए समर्पित है।”
वैश्विक चुनौती बन गया है हृदय रोग
कितने ही अभियानों और चेतावनियों के बावजूद हृदय रोग आज विश्व में एक बड़ा खतरा बन गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन में दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक सैमा वाज़ेद कहती हैं-‘’विश्व में प्रति वर्ष 20 मिलियन से अधिक मौतें हृदय रोग के कारण हो रही हैं। दक्षिण पूर्व एशिया में ही 3.9 मिलियन मौत हृदय रोग के कारण हुई हैं। इन आंकड़ों से यह भी पता लगता है कि कुल मौतों में 30 प्रतिशत मौतें हृदय रोग की समस्याओं के कारण ही हुईं। जिससे यह रोग विश्व चुनौती बन गया है।
भारत में ही पिछले दस बरसों में सवा दो लाख से अधिक व्यक्तियों की हृदय आघात के कारण जीवन लीला समाप्त हो गयी। एक सर्वेक्षण के अनुसार सन 2022 में ही भारत में 32 हज़ार 457 मौत हृदय रोग से हुईं। जबकि इससे एक वर्ष पहले 2021 में यह आंकड़ा 28 हज़ार 413 था। जो यह बताता है कि एक साल में यह संख्या 5 हज़ार अधिक हो गयी। माना जा रहा हाकी कि कोरना के बाद हृदय रोग के मामले बढ्ने लगे हैं।
भारत में 10 करोड़ हैं दिल के मरीज
इस दौरान के अनुभवों और देश के कई सुप्रसिद्द हृदय रोग विशेषज्ञों से मेरी कई बार हुई बातचीत के अनुसार जो मुख्य बात सामने आई है, वह यह है कि दिल के लिए, यदि हम थोड़े से प्रयास भी दिल के साथ करें तो दिल के रोगों से बचा जा सकता है। इधर देखा गया है कि पिछले कुछ बरसों में लोग हृदय रोगों के प्रति कुछ जागरूक तो हुए हैं लेकिन उतने नहीं जितना होना चाहिए था। यही कारण है कि भारत में दिल के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। अनुमान है कि भारत में इस समय लगभग 10 करोड़ दिल के रोगी हैं।
किन कारणों से होते हैं दिल के रोग
कुछ वर्ष पहले हुआ एक सर्वे तो बेहद चौंकाता है। जिसके अनुसार मुंबई में 74 प्रतिशत पुरुष और 69 प्रतिशत महिलाएं और दिल्ली में 65 प्रतिशत पुरुष और 64 प्रतिशत महिलाएं उन रोगों से घिरे हैं जिनके कारण व्यक्ति दिल के रोग से ग्रस्त हो जाते हैं।
इन रोगों में उच्च रक्तचाप, मधुमेह और अधिक कोलेस्ट्रॉल का होना प्रमुख है। साथ ही तनाव और तंबाकू सेवन दिल के रोगों का बड़ा कारण है। आज शहर हो या गाँव सभी जगह अधिकांश लोग किसी न किसी कारण तनाव में हैं। उनमें से अधिक तनाव ज्यादा धन कमाने, दूसरों से आगे निकलने, नौकरी, व्यवसाय की समस्याओं, परीक्षाओं में अधिक अंक पाने या प्रेम और पारिवारिक कलह के कारणों से होता है।
इधर लोगों के कुछ जागरूक होने और नई नई औषधियों और उपचार के आधुनिक साधन आने से दिल के ऑपरेशन में तो बढ़ोतरी कुछ थम सी गई है। है। फिर भी प्रति वर्ष करीब 60 हज़ार दिल के ऑपरेशन हो रहे हैं। क्योंकि अब अधिकतर दिल के मामलों में एक या दो स्टेंट डालकर दिल के रोगी को फिर से भला चंगा कर दिया जाता है। यही कारण है कि अब स्टेंट डालने यानि एंजिओप्लास्टी के मामले बढ़ रहे हैं। माना जा रहा है कि अब प्रति वर्ष देश भर में प्रति वर्ष 6 लाख से भी अधिक रोगियों की एंजिओप्लास्टी हो जाती है।
विश्व हृदय दिवस मनाने में कहाँ है कमी
‘विश्व हृदय दिवस’ (World Heart Day) मनाने का काम ‘वर्ल्ड हार्ट फाउंडेशन’ (World Heart Foundation) करती है। भारत में इसी संस्था के अंतर्गत ‘आल इंडिया हार्ट फाउंडेशन’ (All India Heart Foundation) और ‘कार्डियोलौजी सोसाइटी ऑफ इंडिया’ (Cardiology Society of India) इस आयोजन को करती है। पिछले 24 वर्ष से लगातार देश में ज़ोर शोर से ऐसे आयोजन करने के बाद भी यदि दिल के रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी होती रहे तो चिंता तो बनती है। सवाल उठता है कि आखिर कमी कहाँ रह जाती है।
असल में भारत में लोग ‘विश्व हृदय दिवस’ वाले दिन इन कार्यक्रमों में शामिल होकर या उस दिन प्रकाशित–प्रसारित बातों से तो अच्छे खासे प्रभावित हो जाते हैं। एक दो सप्ताह उस सब से दूर भी रहते हैं जिससे दिल की बीमारी पनपती है। लेकिन उसके बाद धीरे धीरे अपने पुराने ढर्रे पर लौट आते हैं।
क्या कहते हैं दिल के बड़े डॉक्टर
देश के सुप्रसिद्द हृदय रोग विशेषज्ञ और फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल (Fortis Escorts Hospital) के अध्यक्ष डॉ अशोक सेठ (Dr. Ashok Seth) अपनी हाल की मुलाकातों में मुझे बताते रहे हैं कि दिल की बीमारी पिछले 30 बरसों में 300 प्रतिशत तक बढ़ गयी है। जबकि पश्चिमी देशों और विशेषकर अमेरिका में दिल के रोगियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है।
उधर दिल्ली में विश्व हृदत दिवस को विभिन्न स्थानों पर बरसों से आयोजित करने में एक अहम भूमिका निभाते रहे, सुप्रसिद्द चिकित्सक डॉ अचल शंकर दवे (Dr. Achal Shankar Dave) बताते हैं कि इस रोग का सबसे बड़ा कारण गलत जीवन शैली है। जिसमें अनियमित दिन चर्या, गलत खान पान, तंबाकू का सेवन, अनिद्रा और योग और सैर आदि न करना है। लोगों को 40 की उम्र के बाद तो हर हाल में तली हुई चीजों के साथ नमक और चीनी को लगातार थोड़ा थोड़ा कम करते जाना चाहिए। साथ ही लोग भरपूर नींद लेने के साथ नियमित योग करें, सैर करें और साथ ही छोटी छोटी बातों में तनाव न लाएँ तो दिल की बीमारियाँ कोसो दूर रहेंगी।
दिल्ली के एम्स (AIIMS) अस्पताल में हृदय रोग विभाग के बरसों प्रमुख रहे डॉ बलराम एरेण (Dr. Balram Airan) बताते हैं कि यदि लोग आधे से एक घंटा नियमित सैर और योग के साथ अपने खाने पीने में सुधार कर लें, तनाव कम से कम करके जिंदगी को आनंद के साथ जीएं तो दिल और इससे जुड़े रोगों से काफी हद तक बचा जा सकता है।
डॉ बलराम (Dr. Balram Airan) बताते हैं कि जब मैं एम्स दिल्ली में था तो मैंने देखा आजकल लोग दिल की बीमारियों के विभिन्न स्वरूपों के बारे में काफी जानकारी रखते हैं। वे जब हमारे पास आते हैं तो उनमें से काफी लोग नेट आदि से इसके बारे में पढ़कर आते हैं। हालांकि यह जानते हुए कि तनाव से दिल के रोग जन्म लेते हैं, फिर भी लोग अपने जीवन से तनाव को दूर नहीं कर पाते।
उधर पीछे जब मैं जयपुर के एक अस्पताल में था तब हमारे पास ग्रामीण व्यक्ति भी उपचार के लिए काफी संख्या में आते हैं। उन ग्रामीण पृष्ठभूमि के लोगों से जब हम पूछते हैं कि बीड़ी पीते हो,तो उनमें अधिकतर का जवाब होता है कि हमारे यहाँ तो सभी बीड़ी पीते हैं। हम पूछते हैं रोज कितनी बीड़ी पीते हो तो वे कहते हैं यही एक दो बंडल रोज। पता लगा एक बंडल में 20 बीड़ी होती हैं, यानि वे 20 से 40 बीड़ी रोज पी जाते हैं। डॉ बलराम (Dr. Balram Airan) ये भी बताते हैं कि तंबाकू को किसी न किसी रूप में सेवन करने की आदत सिर्फ बुजुर्गों में नहीं युवाओं में भी है। अब यदि ये हालात नहीं बदले तो देश में दिल के रोगियों की संख्या कम कैसे होगी।
इन जाने माने चिकित्सकों की बातों से भी यह साफ होता है कि दिल के रोगों से बचना कोई ज्यादा मुश्किल काम नहीं है। यदि समय समय पर शुगर, बीपी के साथ खून की अन्य जांच होती रहें और शुगर–बीपी और कोलेस्ट्रॉल बढ्ने पर इनको नियंत्रण रखने के मामले में लापरवाही न बरती जाये तो समस्याओं से समय रहते निदान पाया जा सकता है। दिल का मामला है, इसी ठीक रखना है तो इसके लिए कुछ तो यत्न करने पड़ेंगे।
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