दिल्ली से गुरुग्राम जाने में ट्रैफिक से अब मिलेगी राहत, NHAI ने द्वारका एक्सप्रेसवे पर अंडरपास का ट्रायल रन किया शुरू

एनएच-48 के दिल्ली-गुरुग्राम मार्ग पर भीड़भाड़ कम करने और यातायात प्रवाह को बढ़ाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने 29 मई 2025 से प्रतिदिन दोपहर 12:00 बजे से दिन के 3:00 बजे तक द्वारका एक्सप्रेसवे के दिल्ली मार्ग पर सुरंग और अंडरपास का ट्रायल रन शुरू किया है। ट्रायल रन दिल्ली एनसीआर में गतिशीलता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ट्रायल रन के लिए खोले गए अंडरपास में द्वारका/यशोभूमि को एयरपोर्ट अंडरपास के माध्यम से एयरपोर्ट से जोड़ने वाली कम ऊंचाई वाली सुरंग और इसके विपरीत दिशा की सुरंग शामिल होगी। इसके अलावा, उपयोगकर्ता कम ऊंचाई वाली सुरंग और राइट टर्न अंडरपास के माध्यम से द्वारका/यशोभूमि से गुरुग्राम (सिरहौल की ओर) की ओर भी जा सकते हैं। इसके अलावा, टर्मिनल 3 से गुरुग्राम (सिरहौल की ओर) तक राइट टर्न अंडरपास के साथ एयरपोर्ट अंडरपास का संयोजन इस्तेमाल किया जा सकता है।
ट्रायल अवधि के दौरान एनएचएआई को शहर के परिवहन नेटवर्क में निर्बाध एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए यातायात पैटर्न, सुरक्षा उपायों और बुनियादी ढांचे की दक्षता की निगरानी और मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी। सुरंग में वाहनों की ऊंचाई 4.5 मीटर तक सीमित होगी और दो पहिया, तिपहिया जैसे धीमी गति से चलने वाले वाहन और तेल टैंकर जैसे ज्वलनशील पदार्थ ले जाने वाले वाहनों को सुरंग और अंडरपास के अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी। सुरंग के 5 जून 2025 से पूरी तरह चालू होने की संभावना है।
सुरंग को उन्नत इंजीनियरिंग और सुरक्षा सुविधाओं का उपयोग करके बनाया गया है। यह यात्रियों की सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी निगरानी, एक समर्पित नियंत्रण कक्ष और आपातकालीन निकास से सुसज्जित है।
सुरंग के स्थान और लेआउट से बड़ी संख्या में दैनिक यात्रियों को लाभ मिलेगा और सड़कों पर बोझ कम होगा तथा द्वारका एक्सप्रेसवे को इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे से जोड़ने से भीड़भाड़ में कमी आएगी।
चालू होने के बाद अंडरपास कम ऊंचाई वाली सुरंग के माध्यम से आईजीआई हवाई अड्डे को वैकल्पिक संपर्क प्रदान करेंगे, जिससे दिल्ली, गुरुग्राम और उत्तरी शहरों के बीच संपर्क में सुधार होगा। इससे गुरुग्राम, वसंत कुंज, द्वारका, अलीपुर जैसे प्रमुख क्षेत्रों के बीच यातायात प्रवाह को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी। साथ ही गुरुग्राम, फरीदाबाद और मानेसर से सोनीपत, पानीपत और चंडीगढ़ जैसे उत्तरी स्थानों की ओर यातायात की निर्बाध आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए दिल्ली-एनसीआर में और उसके आसपास के अन्य गलियारों के साथ संपर्क बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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