Raj Kapoor Death Anniversary: राज कपूर को ‘आवारा’ में काम करने के लिए जब पिता पृथ्वीराज को भी देने पड़े पैसे, जानिए कितनी थी वह फीस और फिल्म का वह सीन जिसने उन्हें बना दिया ‘ग्रेट शो मैन’

  • प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

राज कपूर (Raj Kapoor) एक दिलकश अभिनेता होने के साथ लाजवाब फ़िल्मकार भी थे। एक ऐसे फ़िल्मकार जिन्होंने अपनी फिल्मों को भव्यता के ऐसे आयाम दिये जिसके लिए उन्हें ‘द ग्रेट शोमैन’ कहा जाता था। आज राज कपूर को दुनिया से बिदा हुए 36 साल हो गए लेकिन उनके बाद देश का कोई और फ़िल्मकार ग्रेट शौमैन नहीं बन सका। हालांकि सुभाष घई और संजय लीला भंसाली सहित कुछ और फ़िल्मकारों ने भी अपनी फिल्मों में भव्यता के कई रंग बिखेरे। लेकिन ग्रेट शोमैन का तमगा किसी को न मिल सका।

‘आवारा’ के बाद सुपर हिट हो गयी राज-नर्गिस की जोड़ी

बता दें राज कपूर (Raj Kapoor) को जिस फिल्म के बाद ‘द ग्रेट शोमैन’ (The Great Showman) कहा जाने लगा वह फिल्म ‘आवारा’ (Awara) थी। सन 1951 में प्रदर्शित ‘आवारा’ में राज कपूर (Raj Kapoor) के साथ नर्गिस (Nargis) नायिका थीं। इस फिल्म से पहले दोनों की जोड़ी ‘बरसात’ फिल्म से हिट हो चुकी थी। लेकिन ‘आवारा’ के बाद तो ये जोड़ी दुनिया भर में ऐसी लोकप्रिय हुई कि जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है। ‘

इस कारण बने राज कपूर ग्रेट शो मैन

आवारा’ (Awara) को शानदार बनाने के लिए राज कपूर (Raj Kapoor) ने एक ऐसा भव्य सेट लगाया, जहां स्वप्न दृश्य में ‘घर आया मेरा परदेसी’ गीत फ़िल्कामार, राज कपूर ने इतिहास रच दिया। इससे पहले फिल्मों में किसी ने ‘स्वप्न दृश्यों’ को फिल्मांकित नहीं किया था। ‘आवारा’ (Awara) फिल्म के इसी गीत को जब दर्शकों ने पर्दे पर देखा तो सभी मंत्रमुग्ध होकर वाह वाह कह उठे। इसी के बाद ‘राज कपूर को ‘ग्रेट शोमैन’ कहा जाने लगा।

 

‘आवारा’ के लिए दिये थे पिता को इतने पैसे

‘आवारा’ (Awara) की बात चली है तो यह भी बता दें कि राज कपूर (Raj Kapoor) के पिता पृथ्वीराज कपूर (Prithviraj Kapoor) भी इस फिल्म में उनके पिता की ही भूमिका में थे। यूं राज कपूर (Raj Kapoor) के दादा दीवान बसेश्वर नाथ कपूर भी ‘आवारा’ (Awara) में थे। दिलचस्प यह है कि राज कपूर (Raj Kapoor) ने ‘आवारा’ (Awara) में अभिनय करने के लिए अपने पिता पृथ्वीराज (Prithviraj Kapoor) को भी मेहनताना दिया था।

हालांकि पृथ्वीराज बेटे से कुछ लेना नहीं चाहते थे। लेकिन राज कपूर (Raj Kapoor) जानते थे कि उनके पिता अपने परिवार को चलाने के साथ, बहुतों की आर्थिक सहायता भी करते हैं। फिर जो भी धन राशि वह फिल्मों से कमाते हैं वे थिएटर पर खर्च देते हैं। इसलिए राज कपूर (Raj Kapoor) ने ‘आवारा’ के लिए पृथ्वीराज को 50 हज़ार रुपए की फीस दी थी।

 

पुरस्कार समारोह में तबीयत बिगड़ी

14 दिसंबर 1924 में जन्मे राज कपूर (Raj Kapoor) ने अपनी 64 बरस की ज़िंदगी में ‘आग’ से लेकर ‘राम तेरी गंगा मैली’ तक कुल 18 फिल्मों का निर्माण किया था। फिल्मों में अपने असाधारण योगदान के लिए राज कपूर को दादा दाहब फाल्के जैसा शीर्ष सम्मान भी मिला था। अपने इसी पुरस्कार को लेने वह 2 मई 1988 को दिल्ली आए थे। पुरस्कार समारोह के दौरान ही उनकी तबीयत ऐसी बिगड़ी कि उन्हें अस्पताल में दाखिल कराने की जरूरत पड़ी।

 

जब मुझे ही उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा

यह संयोग था या कोई  पूर्व जन्म का रिश्ता जब मुझे ही उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। फाल्के पुरस्कार के समय मैं समारोह में मौजूद था। उनकी पत्नी कृष्णा राज कपूर भी वहाँ थीं। लेकिन उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ता देख मुझसे रहा नहीं गया। मैंने वहाँ उपस्थित राष्ट्रपति भवन की डॉक्टर्स और अन्य अधिकारियों से बात कर, तुरंत वहाँ आयी हुई राष्ट्रपति भवन की एंबुलैंस ली।

इसके बाद मैं उस एम्बुलैंस में उन्हें एम्स अस्पताल ले गया। वहाँ उन्हें दाखिल कराने से पूर्व और बाद में मुझे उनकी सेवा करने का भी सौभाग्य मिला। यहाँ तक रात को काफी देर तक मैं और कृष्णा जी, राज कपूर के साथ उनके रूम में ही रहे। इस दौरान हम डॉक्टर्स से बातचीत भी करते रहे। लेकिन मेरे देखते-देखते राज कपूर की तबीयत बिगड़ती चली गयी। वह बेहोश हो कोमा में चले गए।  एक महीना  उनका उपचार चलता रहा। ठीक एक महीने बाद 2 जून को वह चीर निंद्रा में चले गए। लेकिन उनकी फिल्में उन्हें सदा हमारे बीच बनाए हुए हैं।

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