Dadasaheb Phalke Award 2024: धर्मेंद्र नहीं मिथुन चक्रवर्ती को मिला फाल्के सम्मान

  • प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक

इस बार संभावना थी कि दादा साहब फाल्के सम्मान (Dadasaheb Phalke Award) दिग्गज अभिनेता धर्मेन्द्र (Dharmendra) को मिलेगा। लेकिन धर्मेंद्र (Dharmendra) का नाम पीछे रह गया। सरकार ने मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) को फाल्के पुरस्कार देने कि घोषणा कर दी है। जबकि पिछले 65 बरस से फिल्मों में सक्रिय धर्मेन्द्र (Dharmendra) को फाल्के देने पर, पिछले दस 10 बरसों में 7 बार विचार हो चुका है।

हालांकि मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) को फाल्के सम्मान मिलना कोई गलत नहीं है। वह भी पिछले 50 बरसों से फिल्मों में काम कर रहे हैं। फिल्म उद्योग को उन्होंने काफी योगदान दिया है। लेकिन धर्मेन्द्र (Dharmendra) का नाम और काम मिथुन (Mithun Chakraborty) से कहीं ज्यादा है। लेकिन उनका नाम हर बार रहना कुछ आहत करता है।

अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना और रजनीकान्त को भी मिल चुका है फाल्के सम्मान

फिल्मों में उनसे बाद आए अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना और रजनीकान्त को फाल्के सम्मान मिल चुका है लेकिन धर्मेन्द्र (Dharmendra) को निर्णायक मंडल न जाने कम करके क्यों आँकता है। यदि उन्हें अभी भी यह सम्मान नहीं मिला तो कब मिलेगा? वह अब 89 बरस के हो गए हैं। अभी तक वह काफी स्वस्थ हैं।

फाल्के सम्मान कलाकारों को समय रहते मिल जाये तो अच्छा है

फाल्के सम्मान कलाकारों को समय रहते मिल जाये तो अच्छा है। प्राण और शशि कपूर को फाल्के तब मिला जब वह पुरस्कार ग्रहण करने के लिए दिल्ली आने की स्थिति में नहीं थे। इसलिए तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्रियों ने मुंबई में उनके घर जाकर यह सम्मान प्रदान दिया।

 

मुश्किल भरी ज़िंदगी में संघर्ष करके यहाँ तक पहुंचे मिथुन, रिकॉर्ड ऐसे जो किसी और के पास नहीं

बहरहाल मिथुन दा (Mithun Chakraborty) को फिल्म दुनिया के इस शिखर सम्मान मिलने का स्वागत है। मिथुन (Mithun Chakraborty) मुश्किल भरी ज़िंदगी में संघर्ष करके यहाँ तक पहुंचे हैं। अपने फिल्म करियर में वह दो ऐसे अनुपम आयाम बना चुके हैं जहां अभी तक कोई और नहीं पहुँच सका। एक, वह ऐसे अकेले अभिनेता हैं, जिन्हें अपनी पहली फिल्म (Mrigayaa ‘मृगया’) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (National Film Award) मिला। दूसरा सन 1989 में मिथुन (Mithun Chakraborty) ने एक साल में ही 19 फिल्में करके ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड (Limca Book of Record) में भी दर्ज हुआ।

 

मिथुन नहीं गौरांग चक्रवर्ती था असली नाम

मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) की एक और बात प्रेरित करती है कि इंसान में हिम्मत है तो वह अपनी बुरी जिंदगी से निकल एक नयी और शानदार जिंदगी जी सकता है। कोलकाता के बसंत कुमार और शांति रानी के यहाँ 16 जून 1950 को जन्मे मिथुन (Mithun Chakraborty) का वास्तविक नाम गौरांग चक्रवर्ती (Gaurang Chakraborty) था।

भाई के निधन के बाद बदली ज़िंदगी

स्कॉटिश कॉलेज कोलकाता से विज्ञान में स्नातक गौरांग (Gaurang Chakraborty) युवा अवस्था में कदम रखते ही नक्सली आंदोलन से जुड़ गए। अपना घर बार छोड़ जब वह कट्टर नक्सली बने तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यह युवक भारतीय सिनेमा का लोकप्रिय अभिनेता बनेगा। लेकिन उनके इकलौते भाई के निधन के बाद गौरांग (Gaurang Chakraborty) की ज़िंदगी बदल गयी।

घर की आर्थिक स्थिति देख मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) घर लौट आए। तभी उन्हें फिल्मों में काम करने का शौक जागा और वह पुणे फिल्म संस्थान में पढ़ने चले गए। वहाँ उन्हें फ़िल्मकार मृणाल सेन (Mrinal Sen) ने देखा तो अपनी फिल्म ‘मृगया’ के लिए पसंद कर लिया। लेकिन फिल्म शुरू होने में अभी समय था। इसलिए मुंबई पहुँचने पर मिथुन मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) को काफी संघर्ष करना पड़ा। वह कई बार भूखे रहे, फुटपाथ पर सोये।

इस फिल्म के बाद मिथुन बन गए रॉकस्टार

बाद में सन 1976 में ‘मृगया’ प्रदर्शित हुई तो भारतीय सिनेमा में मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) के रूप में एक नए और अच्छे अभिनेता का उदय हो गया। लेकिन मिथुन (Mithun Chakraborty) की ज़िंदगी में खूबसूरत मोड़ 1982 में ‘डिस्को डांसर’ (Disco Dancer) प्रदर्शित होने पर आया। इस फिल्म के बाद मिथुन (Mithun Chakraborty) ऐसे रॉकस्टार बन गए कि उनका नाम रूस तक गूंज पड़ा। रूस में राज कपूर (Raj Kapoor) की बरसों से धूम थी लेकिन अब वहाँ मिथुन (Mithun Chakraborty) भी पहुँच गए।

350 फिल्मों में 200 फिल्में रही फ्लॉप

मिथुन (Mithun Chakraborty) ने अपने करियर में हिन्दी, बंगला, ओडिया, भोजपुरी और तमिल में लगभग 350 फिल्में की हैं। जिनमें 200 फिल्में फ्लॉप रहीं या औसत। लेकिन घर एक मंदिर,प्यार झुकता नहीं, सुरक्षा, अग्निपथ, हाउसफुल-2, ओएमजी, गुरु, गोलमाल-3 और द कश्मीर फ़ाइल्स तक ऐसी कितनी ही फिल्में हैं जिनके कारण मिथुन (Mithun Chakraborty) आज भी सिनेमा के स्टार बने हुए हैं।

कभी कम बजट की फिल्मों का अमिताभ बच्चन कहा जाता था, इसी वर्ष पदमभूषण भी मिला

कभी मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) को कम बजट की फिल्मों का अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) कहा जाता था। ‘मृगया’ (Mrigayaa) के बाद उन्हें ‘ताहेदार कथा (1992) और ‘स्वामी विवेकानंद” (1998) के लिए भी राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। जबकि इसी वर्ष वह पदमभूषण (Padma Bhushan) से भी सम्मानित हो चुके हैं।

फिल्मों के साथ समाज सेवा में भी आगे रहे, राजनीति के मैदान में भी उतरें

फिल्मों में अभिनय के साथ मिथुन (Mithun Chakraborty) दा समाज सेवा में भी आगे रहे। साथ ही ऊटी में फिल्म और होटल के व्यवसाय में भी। वह फरवरी 2014 में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राज्यसभा सदस्य बन राजनीति में भी आए। लेकिन दिसंबर 2016 में वह राज्यसभा की सीट से त्यागपत्र दे, मार्च 2021 में भाजपा (BJP) के सदस्य बन गए।

74 वर्षीय मिथुन आगे भी देते रहेंगे शानदार फिल्में

मिथुन (Mithun Chakraborty) की पत्नी योगिता बाली (Yogeeta Bali) 70 और 80 के दशक में लोकप्रिय अभिनेत्री रहीं हैं। इनके चार बच्चे हैं, जिनमें दो बेटे मिमोह (Mimoh Chakraborty) और ऊष्मय (Ushmey Chakraborty) फिल्मों में आए पर उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन उम्मीद है 74 वर्षीय मिथुन (Mithun Chakraborty) आगे भी शानदार फिल्में देते रहेंगे।

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