Janmashtami 2025: भगवान श्रीकृष्ण धरती पर जन्मे नहीं प्रकट हुए थे, जानिए वो 12 कारण जिनके लिए भगवान विष्णु ने कन्हैया का लिया अवतार

- पंडित लक्ष्मी नरसिंह दास
इस्कॉन मन्दिर, नई दिल्ली
भगवान के जन्म और कर्म दिव्य होते हैं,यह बड़े ही रहस्य का विषय है। भगवान का जन्म साधारण मनुष्यों की भाँति नहीं होता। भगवान श्रीकृष्ण जब कारागार में वसुदेव-देवकी के सामने प्रकट हुए, उस समय का श्रीमद्भागवत का प्रसंग देखने और विचारने से मनुष्य समझ सकता है कि उनका जन्म साधारण मनुष्यों की भांति नहीं हुआ।
अव्यक्त सच्चिदानन्दघन भगवान अपनी लीलासे ही शंख, चक्र,गदा,पद्म सहित चतुर्भुज विष्णु के रूप में वहाँ प्रकट हुए। उनका प्रकट होना और पुनः अन्तर्धान होना उनकी स्वतंत्र लीला है,वह हम लोगों के उत्पत्ति-विनाश की तरह नहीं है। अवश्य ही भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण साधारण लोक दृष्टि में उनके जन्म लेने सदृश ही हुआ। परन्तु वास्तव में वह जन्म नहीं था वह तो उनका प्रकट होना था।
जब भगवान दिव्य रूप से प्रकट हुए तब माता देवकी उनकी अनेक प्रकार से स्तुति करती हुई कहती हैं –
उपसंहर विश्वात्मन्दो रूपम्लौकिकम्।
शङ्खचक्रगदापद्मश्रियं जुषं चतुर्भुजम्।।
हे विश्वात्मन्! आप शङ्ख, चक्र, गदा और पद्म से सुषोभित चार भुजावाले अपने अद्भुत रूप को छिपा लीजिये। देवकी के प्रार्थना करने पर भगवान ने अपने चतुर्भुजरूप को छिपाकर द्विभुज बालक का रूप धारण कर लिया।
इत्युक्त्वा स भीद्धरिस्तूर्णं भगवानात्ममायया।
पित्रोः संपश्यतोः सद्यः बभूव प्राकृतः शिशुः।।
इससे उनका प्रकट होना ही स्पष्ट सिद्ध होता है। गीता में भी भगवान श्रीकृष्णचन्द्र जी ने अर्जुन के प्रार्थना करने पर पहले उसे अपना विश्व रूप दिखलाया, फिर उसकी प्रार्थना पर चतुर्भुज रूप धारण किया और अन्त में पुनः द्विभुजरूप होकर दर्शन दिये।
इससे प्रकट होता है कि भगवान अपने भक्तों को इच्छा के अनुसार उन्हें दर्शन देकर अन्तर्धान हो जाते हैं। इस प्रकार भगवान के प्रकट और अन्तर्धान होने को जो लोग मनुष्यों के जन्म और मरण के सदृश समझते हैं, वे भगवान के तत्त्व को नहीं जानते।
भगवान का अवतार इस संसार में क्यों होता है
भक्त गण सुख दिते, प्रभूर अवतार।
जहाँ जइछे योग्य तहाँ करेन व्यवहार।।
भक्तों को आनन्द देने के लिए ही विशेष रूप से भगवान का इस संसार में अवतार होता है।
भगवान कृष्ण के इस जगत में अवतरित होने के 12 कारण-
1.धर्म की स्थापना।
2.भक्तों पर कृपा करने के लिए।
3.देवकी और वसुदेव के पिछले जन्म जब वे प्रिशनि और सुतपा के रूप में वरदान माँगा था उसको पुरा करने के लिए।
4.यशोदा और नन्द जो पिछले जन्म में द्रोण और धरा के रुप में वर माँगा था उसको पुरा करने के लिए
5.शपूर्णखा जो कुब्जा बनकर आयी थी उनका उद्धार करने के लिए
6.बली महाराज की पुत्री रत्नमाला जो पूतना बनी थी उनका उद्धार करने के लिए।
7.मिथिला की कन्यायों की इच्छा की पूर्ति के लिए।
8.स्वर्ण सीता को ग्रहण करने के लिए।
9.वेद के मंत्र जो गोपी बनकर आए थे उनकी इच्छा को पुरा करने के लिए।
10.दंडकारण्य के ऋषिमुनियों की इच्छा को पुरा करने के लिए।
11.जय और विजय अर्थात अपने पार्षदों को वापिस ले जाने के लिए।
12.ज्ञानी लोगों पर कृपा करने के लिए भगवान आए थे जैसे- शुकदेव गोस्वामी उद्धव जी इत्यादि।