माँ दुर्गा के बड़े भक्त थे देब मुखर्जी, भाई जॉय मुखर्जी की तरह नहीं मिली लोकप्रियता

- प्रदीप सरदाना
वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक
गत 14 मार्च को अभिनेता देब मुखर्जी (Deb Mukherjee) के निधन का समाचार मिला तो उन दिनों की याद हो आई जब फिल्म उद्योग में मुखर्जी परिवार की तूती बोलती थी। हम सब कपूर परिवार (Kapoor Family) को फिल्म संसार के सबसे बड़े परिवार के रूप में जानते हैं। लेकिन देखा जाए तो लोकप्रियता के मामले में कपूर परिवार फिल्मों का सबसे बड़ा परिवार तो है।
परिवार के सदस्यों के मामले में मुखर्जी परिवार सबसे बड़ा है
लेकिन परिवार के सदस्यों के मामले में मुखर्जी परिवार सबसे बड़ा है। जिसका हिस्सा अभिनेता अशोक परिवार भी रहे और अभिनेत्री तनुजा (Tanuja) और उनकी बेटी काजोल (Kajol) तथा रानी मुखर्जी (Rani Mukerji) भी इसी मुखर्जी परिवार से हैं। देब मुखर्जी (Deb Mukherjee) उन शशधर मुखर्जी के बेटे हैं जो कभी बॉम्बे टाकीज़ से जुड़े और फिर फिल्मिस्तान और फिल्मालय जैसे बड़े फिल्म स्टूडियो के संस्थापक भी बने।
शशधर की शादी अशोक कुमार (Ashok Kumar) और किशोर कुमार (Kishore Kumar) की बहन सती देवी से हुई। शशधर-सती की 6 संतानों में तीन पुत्र जॉय मुखर्जी (Joy Mukherjee), देब मुखर्जी (Deb Mukherjee) और शोमू मुखर्जी (Shomu Mukherjee) भी हैं। जिनमें शोमू अभिनेत्री तनूजा (Tanuja) के पति और काजोल (Kajol) के पिता बने। जॉय मुखर्जी (Joy Mukherjee) तो अभिनेता के रूप में काफी लोकप्रिय हुए।
देब मुखर्जी को भाई जॉय मुखर्जी की तरह नहीं मिली लोकप्रियता
देब मुखर्जी (Deb Mukherjee) की बात करें तो इन्हें भाई जॉय की तरह लोकप्रियता नहीं मिली। लेकिन इन्होंने भी बहुत सी फिल्में कीं। जिनमें कुछ अच्छी ख़ासी लोकप्रिय भी हुईं। कानपुर में 22 नवंबर 1941 को जन्मे देब फिल्म परिवार में होते हुए भी फिल्मों में काम करने में खास दिलचस्पी नहीं रखते थे। लेकिन वह लंदन में अपनी पढ़ाई के दौरान एक दिन मुंबई आए तो उनकी माँ ने उन्हें वापस लंदन जाने से रोक दिया।
हेमा मालिनी के साथ एक नृत्य गीत से लोकप्रियता मिली
तब 1960 के दशक कुछेक छोटी भूमिकाओं से देब (Deb Mukherjee) ने फिल्मों में कदम रखा। सन 1965 में उनकी फिल्म ‘तू ही मेरी ज़िंदगी’ और 1969 में ‘संबंध’ और ‘आँसू बन गए फूल’ आयीं तो इन दो फिल्मों से वह चर्चा में आ गए। इसके बाद फिल्म ‘अभिनेत्री’ में हेमा मालिनी (Hema Malini) के साथ एक नृत्य गीत ‘मिलते ही रहेंगे हम बदले सौ नज़ारे’ से तो देब को काफी लोकप्रियता मिली।
अंतिम फिल्म ‘कमीने’ रही
फिर 1970 के दशक में अधिकार, एक बार मुस्कुरा दो, ज़िंदगी ज़िंदगी और दो आँखें जैसी फिल्मों से इनकी अभिनय यात्रा आगे बढ़ती रही। उसके बाद यह सहायक और चरित्र भूमिकाओं में आ गए। मैं तुलसी तेरे आँगन की, बातों बातों में, जो जीता वही सिकंदर, किंग अंकल, आँसू बने अंगारे और रॉक डांसर और गुदगुदी उनकी अन्य प्रमुख फिल्में हैं। देब ने एक फिल्म ‘कराटे’ का निर्माण भी किया। लेकिन यह फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हो गयी। अभिनेता के रूप में उनकी अंतिम फिल्म 2009 में प्रदर्शित विशाल भारद्वाज (Vishal Bhardwaj) की ‘कमीने’ (Kaminey) थी।
माँ दुर्गा के बड़े भक्त थे
फिल्मों के अलावा देब मुखर्जी (Deb Mukherjee) की एक पहचान माँ दुर्गा के बड़े भक्त के रूप में भी थी। उत्तर मुंबई में बहुत पुराने दुर्गा पूजा पंडाल के यह प्रमुख प्रबन्धक थे। दुर्गा पूजा (Durga Puja) के दिनों में देब इसी पंडाल के लिए समर्पित रहते थे। काजोल (Kajol) और रानी मुखर्जी (Rani Mukerji) भी इनके पंडाल में बराबर आती थीं।
देब की दो शादियाँ हुईं जिनमें पहली पत्नी से पुत्री सुनीता प्रसिद्द फ़िल्मकार आशुतोष गोवारिकर (Ashutosh Gowariker) की पत्नी हैं। जबकि दूसरी पत्नी से पुत्र अयान मुखर्जी (Ayan Mukherjee) आज के दौर के सफल निर्देशक हैं।