Ramoji Rao: रामोजी राव ने हैदराबाद में दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म सिटी कॉम्प्लेक्स बनाकर रच दिया था इतिहास, सिनेमा के साथ मीडिया जगत को भी दिया नया शिखर

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

बात 1987 की है जब फिल्म ‘प्रतिघात’ को हमने, अपनी लेखकों, पत्रकारों और कलाकारों की संस्था का ‘आधारशिला पुरस्कार’ (Aadharshila Award) देने का फैसला किया। इस फिल्म का निर्माण ऊषा किरण मूवीज के रामोजी राव (Ramoji Rao) ने किया था। जबकि इसके निर्देशक एन चंद्रा थे। मैंने रामोजी राव (Ramoji Rao) को पत्र भेजकर यह पुरस्कार देने की सूचना भेजी। पुरस्कार 2 नवंबर 1987 को दिल्ली में तत्कालीन उपराष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा (Shankar Dayal Sharma) ने प्रदान किए।

लेकिन रामोजी राव (Ramoji Rao) को हमारा पत्र कुछ देर से मिला। जिससे वह समारोह में आने से रह गए। फिल्म का वह पुरस्कार फिल्म के वितरक और सहयोगी राजश्री फिल्म्स (Rajshri Films) के महावीर बड़जात्या (Mahavir Barjatya) ने ग्रहण किया। रामोजी राव (Ramoji Rao) को जब यह पता लगा तो उन्हें बहुत दुख हुआ। उन्होंने मुझे फोन तो किया ही। साथ ही एक पत्र भी भेजा जो बहुत मार्मिक था। वह पत्र आज भी मेरे पास कहीं होगा। लेकिन तभी से मेरा रामोजी राव (Ramoji Rao) के प्रति स्नेह और सम्मान और भी बढ़ गया।

इधर पिछले एक वर्ष से उनसे मिलने के लिए मेरा हैदराबाद जाने का कार्यक्रम बन रहा था। इसकी सूचना भी मैंने दो तीन बार उनके ऑफिस में भिजवाई। उन्होंने कहा आप जब भी आयें,आपका स्वागत है। लेकिन कुछ अन्य व्यस्तताओं के कारण वहाँ जाना रुकता रहा। इधर अब जब रामोजी राव (Ramoji Rao) के निधन की सूचना मिली तो मन व्यथित हो गया।

पत्रकारिता और सिनेमा में दिया बड़ा योगदान

रामोजी राव (Ramoji Rao) ने पत्रकारिता और सिनेमा को जो अपना विशिष्ट योगदान दिया है, उसकी जितनी प्रशंसा की जाये कम है। देश में यूं ऐसे कई व्यक्ति हैं जिनका सिनेमा में बड़ा योगदान है और ऐसे व्यक्तियों की भी कमी नहीं जिन्होंने पत्रकारिता में विशिष्ट योगदान दिया हो। लेकिन जिन्होंने सिनेमा और पत्रकारिता दोनों में बेहद योगदान दिया हो ऐसे व्यक्ति बहुत कम हैं। इसलिए रामोजी राव (Ramoji Rao) दोनों क्षेत्रों में अपार उपलब्धियां अर्जित करने वाले एक शिखर पुरुष थे। जिन्होंने 7 जून को सुबह लगभग 4.30 बजे इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

रामोजी राव (Ramoji Rao) का जन्म 16 नवंबर 1936 को एक किसान परिवार में आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था। उन्होंने मात्र 26 वर्ष की उम्र में चिटफंड के काम के साथ अपना व्यवसाय शुरू किया था। इसके बाद 1969 में रामोजी ने कृषि और कृषकों को लेकर ‘अन्नदाता’ पत्रिका निकाल कर, पत्रकारिता में कदम रखा। फिर रामोजी (Ramoji Rao) ने 1974 में विशाखापटनम से तेलुगू में ‘इनाडू’ अखबार शुरू किया।

देखते ही देखते ये अखबार बहुत लोकप्रिय हो गया। रामोजी राव (Ramoji Rao) के प्रमुख संपादक के रूप में ‘इनाडू’ के मुंबई, दिल्ली सहित 23 संस्करण हो गए। हालांकि राव (Ramoji Rao) ने प्रिया फूड और डॉलफिन होटल सहित और भी कई व्यापार किए। साथ ही तेलुगू फिल्मों के निर्माण भी आरंभ कर दिया।

तेलुगू, हिन्दी फिल्मों के निर्माण के साथ किया विश्व के ‘सबसे बड़े फिल्म स्टूडियो कॉम्प्लेक्स’का निर्माण

बाद में उन्होंने ‘नाचे मयूरी’ फिल्म को तेलुगू से हिन्दी में बनाकर मुंबई फिल्म उद्योग में भी कदम रखा। ‘नाचे मयूरी’ तो सफल हुई ही। साथ ही ‘प्रतिघात’ फिल्म ने तो सफलता के नए आयाम बना दिये। उनके बारे में कहा जाता रहा कि वह पत्थर को सोना कर देते हैं।

रामोजी राव (Ramoji Rao) को सबसे ज्यादा लोकप्रियता 1996 में तब मिली जब हैदराबाद में उन्होंने ‘रामोजी फिल्म सिटी’ (Ramoji Film City) का निर्माण किया। यह फिल्म सिटी फ़िल्मकारों के लिए तो वरदान सिद्द हुई ही। साथ ही यह हैदराबाद का एक लोकप्रिय पर्यटक केंद्र भी बन गयी है। जहां सभी पर्यटक जाने के लिए लालायित रहते हैं। दो हज़ार एकड़ में बनी इस फिल्म सिटी को गिनीज़ बुक, विश्व का ‘सबसे बड़े फिल्म स्टूडियो कॉम्प्लेक्स’ मान चुकी है।

इस फिल्म सिटी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि कोई यहाँ फिल्म की पटकथा लेकर पहुंचे तो वह फिल्म का फ़ाइनल प्रिंट लेकर निकल सकता है। यह इतनी आधुनिक सुविधाओं से युक्त है कि देश-विदेश की कई बड़ी फिल्मों और सीरियल का निर्माण यहाँ होता ही रहता है। ‘बाहुबली’ जैसी महा फिल्म भी यहीं बनी।

रामोजी राव समूह (Ramoji Rao Group) कितना बड़ा है उसका अंदाज़ इससे भी लगाया जाता है कि इस समूह में 30 हज़ार लोग काम कर रहे हैं। जिसमें उनके ई टीवी का नेटवर्क (ETV Network) भी शामिल है। रामोजी राव (Ramoji Rao) को पत्रकारिता और सिनेमा में दिये गए अपने अत्यंत विशिष्ट योगदान के लिए भारत सरकार ‘पदम विभूषण’ (Padma Vibhushan) से सम्मानित कर चुकी है। रामोजी राव (Ramoji Rao) साहब आप याद आते रहेंगे।

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