कांग्रेस ने आजादी के बाद ही लोकतंत्र के साथ छल, कपट और फर्जीवाड़ा किया, बोले गजेन्द्र सिंह शेखावत

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि कांग्रेस ने आजादी के बाद से ही लोकतंत्र की मूल भावना के साथ बार-बार छल किया। इतिहास इसका गवाह है कि विभिन्न चुनावों में नेताओं के तत्वावधान में चुनाव अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस वोटों का खेल करती रही। इसके लिए कांग्रेस ने फर्जीवाड़ा, छल और कपट का रास्ता अपनाया।
गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि वर्ष 1952 के पहले आम चुनाव में ही, जब देश अपने लोकतांत्रिक भविष्य की ओर पहला कदम बढ़ा रहा था, नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी द्वारा बैलेट बॉक्स में नाइट्रिक एसिड डालकर वोट नष्ट करने जैसी घटनाएं अखबारों की सुर्खियां बनीं। हार की आशंका वाले क्षेत्रों में ऐसा सुनियोजित कृत्य कांग्रेस द्वारा किया गया।
यही नहीं, वर्ष 1952 में नेहरू ने रामपुर सीट से मौलाना अबुल कलाम आजाद को जिताने के लिए परिणाम घोषित होने के समय जिला कलेक्टर पर दबाव डालकर तीसरे उम्मीदवार बिशन चंद्र सेठ के वोट मौलाना आजाद के खाते में डलवाए थे। वर्ष 1951 के चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने तय किया कि जम्मू-कश्मीर के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में केवल एनसी के उम्मीदवार खड़े होंगे। उन्होंने जम्मू प्रजा परिषद के सभी प्रत्याशियों के नामांकन रद्द कर दिए और एनसी के प्रत्याशी निर्विरोध जीत गए।
गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इंदिरा गांधी के दौर का भी जिक्र किया और कहा कि वर्ष 1970 के दशक में चुनावों में सरकारी तंत्र का दुरुपयोग, मतदाताओं को प्रभावित करना और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को तोड़ना आम बात हो गई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जब वर्ष 1975 में उनके चुनाव को अमान्य ठहराया, तब देश को आपातकाल जैसे काले अध्याय से गुजरना पड़ा। इंदिरा गांधी के समय में नारा गूंजता था ‘सहाय से नोट लो और महामाया को वोट दो’ यानी सहाय, जो इंदिरा गांधी के चुनाव प्रबंधक थे, उनसे पैसे लेकर इंदिरा गांधी को वोट देना।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने आगे कहा कि राजीव गांधी के नेतृत्व में अमेठी में खुलेआम बूथ कैप्चरिंग, मतदाताओं को डराने और री-पोलिंग जैसी घटनाएं दर्ज हुईं, जिनसे यह साफ हो जाता है कि कांग्रेस ने हमेशा सत्ता को साध्य माना, साधन चाहे जैसे भी हों। तब बसपा नेता स्वर्गीय कांशीराम जी ने चुनाव आयोग में मतदाता सूचियों में छेड़छाड़ की शिकायत की थी। शेखावत ने कहा कि कांग्रेस की यह विरासत आज भी राहुल गांधी द्वारा निभाई जा रही है, जहां संविधान और लोकतंत्र की दुहाई देने वाले खुद ही उसकी अवहेलना करते हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि जनता सब देख रही है और कांग्रेस को हर चुनाव में इसका उत्तर वोट की चोट से देती रही है।
नेहरू ने बाबा साहब को लोकसभा पहुंचने से रोका
गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि वर्ष 1952 के पहले आम चुनाव में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को लोकसभा से दूर रखने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने सुनियोजित रणनीति अपनाई थी। नेहरू ने कम्युनिस्ट पार्टी से गठजोड़ कर बाबा साहब के खिलाफ एक प्रत्याशी खड़ा कराया। जब परिणाम बाबा साहब के पक्ष में जाते दिखे तो आखिरी वक्त में 74,333 वोट अमान्य घोषित कर दिए गए। बाबा साहब महज 14,561 वोटों से पराजित हुए। यह घटना भारत के लोकतंत्र पर एक गहरी साजिश की छाया छोड़ती है और यह दर्शाती है कि जननायकों को सत्ता से बाहर रखने के प्रयास स्वतंत्र भारत की शुरुआत से ही होते आए हैं।
कांग्रेस के दोहरे चरित्र से देश को सावधान रहने की जरूरत
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि देशवासियों को कांग्रेस के दोहरे चरित्र से सावधान रहने की जरूरत है। वाराणसी में विपक्ष के स्वयंभू सांसद घोषित करने के सवाल पर शेखावत ने कहा कि किसी के घोषित कर देने से सच्चाई नहीं बदलती। जनता की भावना ही असली तस्वीर होती है। शेखावत ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने वर्षों तक चुनावों को मैनेज कर अपने पक्ष में परिणाम मोड़े। अब वही ताकतें चुनावी प्रक्रिया पर संदेह फैलाकर माहौल बिगाड़ना चाहती हैं। राहुल गांधी द्वारा मतदाता सूची सुधार प्रक्रिया का विरोध दोहरे चरित्र का प्रतीक है। इसलिए देश को अब ऐसे झूठे नैरेटिव्स से सतर्क रहना होगा।
सोनिया गांधी की नागरिकता के सवाल पर कांग्रेस मौन क्यों?
गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सोनिया गांधी की नागरिकता को लेकर पूछे जा रहे सवाल पर भी कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। उन्होंने पूछा कि जो पार्टी हर मुद्दे पर बयानबाजी में सबसे आगे रहती है, वह इस गंभीर सवाल पर मौन क्यों है? शेखावत ने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी ने 1983 में भारत की नागरिकता लेने से पहले ही मतदाता सूची में नाम दर्ज करवा लिया और मताधिकार का प्रयोग भी किया। आखिर यह किस कानून के तहत संभव हुआ? उन्होंने कहा कि 24 घंटे बीतने के बाद भी न तो गांधी परिवार और न ही कांग्रेस की ओर से कोई स्पष्ट जवाब आया है। राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा देशविरोधी मंचों को प्राथमिकता दी।
कांग्रेस की महत्वाकांक्षा के कारण हुआ देश का विभाजन
गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि कांग्रेस की सत्ता प्राप्ति और प्रधानमंत्री पद की महत्वाकांक्षा ने देश को विभाजन की त्रासदी में झोंक दिया। उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 का विभाजन इतिहास का सबसे बड़ा जनविस्थापन बना, जिसे “माइग्रेशन ऑफ द मासेस” कहा जाता है। करोड़ों लोग अपने घरों से उजड़ गए। करीब 20 लाख लोगों ने जान गंवाई और अनगिनत परिवार झूठे-फर्जी वादों की भेंट चढ़े। ट्रेन-ट्रैकों पर लाशों की कतारें और नरसंहार की वीभत्सता ने इतिहास के पन्नों पर एक काला अध्याय दर्ज किया। शेखावत ने कहा कि यह सब कांग्रेस की सत्ता की लालसा और अदूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम था।
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