Book Review: महाराष्ट्र से जुड़े स्वतंत्रता सेनानियों और आंदोलनों की बेबाक गाथा, विमल मिश्र की पुस्तक ‘महाराष्ट्र – बलिदानों की धरती’

  • प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक 

इन दिनों आक्रांता और क्रूर मुगल शासक औरंगजेब को लेकर महाराष्ट्र में जो कुछ हो रहा है वह दुखदाई ही नहीं बेहद शर्मनाक है। औरंगजेब ने हिंदुओं पर  जो अत्याचार किए, उनकी हत्याएँ कीं, मंदिर तोड़े वह सब जान दिल दहल उठता है। इतना ही नहीं औरंगजेब ने अपने परिवार के सगे संबंधियों की भी जिस तरह हत्याएँ कीं, वह सब भी इतिहास में स्पष्ट शब्दों में अंकित है। फिर भी कोई औरंगजेब का महिमामंडन करे तो हर सच्चे भारतीय का आक्रोशित होना स्वाभाविक है।

जबकि लोग उन लोगों को भूल रहे हैं जो देश की स्वतंत्रता, देश की सुरक्षा और देश सम्मान के लिए मर मिटे। महाराष्ट्र की धरती तो ऐसे बलिदानों से भरी पड़ी है। हाल ही में ‘छावा’ (Chhaava) फिल्म ने सभी को झकझोरा है। इधर किसी ने ऐसे बलिदानियों की बहुत सी गाथाएँ जाननी हैं तो उसे पिछले दिनों आई पुस्तक ‘महाराष्ट्र–बलिदानों की धरती’ (Maharashtra Balidano Ki Dharti) अवश्य पढ़नी चाहिए

लेखन, पत्रकारिता में कई शिखर छूए हैं विमल मिश्र ने 

आर के पब्लिकेशन मुंबई से प्रकाशित इस पुस्तक को लिखा है वरिष्ठ और जाने माने लेखक विमल मिश्र (Vimal Mishra) ने। पिछले करीब 40 वर्षों में विमल मिश्र ने लेखन पत्रकारिता में कई शिखर छूए हैं। इस दौरान उनके कई स्तम्भ तो सुर्खियों में रहे ही। साथ ही अपनी कई पुस्तकों से भी विमल मिश्र ने साहित्य और समाज को जो योगदान दिया है वह अनुपम है। इससे पूर्व भी उनकी कुछ पुस्तकें अच्छी ख़ासी चर्चा में रहीं। जिनमें ‘मुंबई‘ (Mumbai) और ‘नमामि काशी’ (Namami Kashi) भी हैं। इस सबके लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले।

विमल मिश्र

पुस्तक में कुल 92 लेख हैं

बात ‘महाराष्ट्र बलिदानों की धरती’ की करें तो इस पुस्तक में उनके ऐसे कुल 92 लेख हैं, जो महाराष्ट्र से जुड़े स्वतंत्रता आंदोलन और सेनानियों की बेबाक कथा कहते हैं। पुस्तक में स्वतंत्रता के वे नायक तो हैं हीं जिनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ। साथ ही उन लोगों की शौर्य गाथाएँ भी इस पुस्तक में हैं जिनका जन्म चाहे देश में कहीं भी हुआ हो लेकिन उनकी कर्मभूमि महाराष्ट्र रही।

महात्मा गांधी का महाराष्ट्र से विशेष जुड़ाव

पुस्तक में जहां भारत छोड़ो आंदोलन की बात है तो गांधी जी के महाराष्ट्र में किए गए सत्य के पहले प्रयोग की भी। साथ ही बापू की मुंबई, बापू और उनका सेवाग्राम, बापू, बा और महादेव देसाई की यादों का महल और नेता जी से बापू की वह पहली भेंट जैसे अध्यायों के माध्यम से महात्मा गांधी के महाराष्ट्र से विशेष जुड़ाव और उनके विभिन्न आंदोलनों का इतिहास बहुत ही रोचक ढंग से बताया गया है।

फिर महात्मा गांधी के पहले सत्याग्रही विनोबा भावे, गांधी जी के राजनीति गुरु गोपालकृष्ण गोखले और गांधीजी के पांचवें बेटे जमनालाल बजाज के लेख भी बहुत कुछ कहते हैं। यूं महात्मा गांधी और उनसे जुड़े कुछ अन्य अहम व्यक्तियों पर भी लेखक ने अहम जानकारियाँ दी हैं। जैसे कस्तूरबा –महात्मा गांधी की हमकदम, घनश्याम दास बिड़ला-महात्मा गांधी के भामाशाह, महादेव देसाई–गांधीजी के जीवनीकार, बापू के शिष्य, सरदार के भाई विट्ठलभाई। फिर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को लेकर भी पुस्तक में विशिष्ट सामग्री है। जिसमें तिलक के ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्द अधिकार’ के ऐतिहासिक नारे से लेकर उनके ‘गणेशोत्सव के प्रवर्तक’ की कथा के साथ ‘तिलक तीर्थ मुंबई के’ अध्याय में उनके प्रमुख स्मारकों की भी चर्चा है।

प्रदीप सरदाना को विमल मिश्र अपनी पुस्तक भेंट करते हुए

खूबसूरत  शब्दों में है महान स्वतन्त्रता सेनानियों की गाथा

इन सबके साथ भारत रत्न से ऊपर हैं वीर सावरकर, अमर सेनानी बाबा राव सावरकर, राष्ट्रीयता के उन्नायक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार, महाराष्ट्र के क्रांतिसिंह-नाना पाटील, स्वतंत्रता संग्राम के गुरु–राजगुरु, केएम मुंशी-आज़ादी के सिपाही और हिन्दी के भी, वीर नरीमन, भुलाने लायक नहीं हैं भुलाभाई जैसे लेखों में इन महान स्वतन्त्रता सेनानियों की गाथा को भी विमल मिश्र ने बहुत ही खूबसूरत शब्दों में प्रस्तुत किया है।

पुस्तक के विशिष्ट अध्यायों में  किवदंती पुरुष डॉ बाबा साहब आंबेडकर तो अहम है ही। साथ ही भारत छोड़ो का नारा देने वाले युसुफ मेहर अली के साथ वालचंद हीराचंद, बालासाहब खेर, नेताजी के सिपाही मणिभाई दोशी और सर दिनशा वाच्छा पर भी अनेक अनभिज्ञ कथाओं को साझा किया गया है।

प्रदीप सरदाना के साथ विमल मिश्र

स्वतत्रता  संग्राम में नारी शक्ति

पुस्तक का एक अत्यंत विशिष्ट भाग स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली नारी शक्ति पर भी है। जिसमें देशाभिमानी दुर्गाबाई देशमुख, दुर्गाभाभी, मणिबेन, मैडम कामा, उषा मेहता, सरोजिनी नायडू, कमलादेवी चटोपाध्याय, सुशीला नैयर, अरुणा आसफ अली, मीराबेन, हंसा मेहता और गोदावरी पारुलेकर जैसी और भी महान महिलाओं की वीर गाथा को भी इस एक ही पुस्तक में पढ़ा जा सकता है।

मैं इतिहास सँजो सका- विमल मिश्र

पुस्तक में प्रस्तुत वे लेख भी दिलचस्प हैं जिनमें मुंबई के कुछ उन विभिन्न स्थलों की बानगी है जो स्वतंत्रता संग्राम के दिनों के साक्षी रहे। विमल मिश्र कहते हैं-‘’देश की स्वतंत्रता का इतिहास देखें तो महाराष्ट्र सरीखा योगदान कहीं और नहीं मिलेगा। मुझे प्रसन्नता है कि मैं इस इतिहास को सँजो सका।‘’

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