Balraj Sahni Death Anniversary: अभिनय के सरताज बलराज साहनी को आखिर क्यों नहीं मिला कोई पुरस्कार

- प्रदीप सरदाना
वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक
सशक्त अभिनेता बलराज साहनी (Balraj Sahni) को इस दुनिया से कूच किए अब 52 साल हो गए है। दिल का दौरा पड़ने के अगले दिन जब 13 अप्रैल 1973 को बैसाखी (Baisakhi) के दिन, बलराज साहनी (Balraj Sahni) का निधन हुआ तो फिल्म उद्योग शोक में डूब गया था। जबकि उनके परिवार के सदस्य, कई मित्र और प्रशंसक 17 दिन बाद एक मई को उनके 60 वें जन्मदिन पर विशेष उत्सव मनाने की तैयारी में जुटे थे।
बलराज (Balraj Sahni) के अभिनय का जादू तो सभी के सिर चढ़कर बोलता ही था। साथ ही वह इतने सहज और सरल थे कि उनसे सभी दिल से प्यार करते थे। इसलिए उनके निधन पर लोगों के आँसू नहीं थम रहे थे। यूं तब कुछ लोगों का कहना था कि कुछ बरसों बाद इस शानदार अभिनेता को भी लोग भूल जाएँगे। हालांकि विगत 52 बरसों में कितने ही अच्छे अभिनेता आए लेकिन यदि ध्यान से देखें तो कह सकते हैं कि उनकी जगह कोई और नहीं ले सका है। सच आज भी बलराज सा कोई नहीं।
अभिनय के सरताज थे बलराज
बलराज साहनी (Balraj Sahni) के अभिनय का लोहा उनके रहते भी सभी ने माना। आज भी अनेक लोग कहते हैं बलराज साहनी अभिनय के सरताज थे। मेरा मानना है कि उनका अभिनय ही अभिनय का ऐसा स्कूल है कि आज भी उनकी फिल्मों में मात्र उनका अभिनय देखकर ही अभिनय सीखा जा सकता है। उन्होंने जो भी फ़िल्में कीं, उनमें उनकी भूमिका नायक की रही हो या सहनायक की या फिर चरित्र अभिनेता की या कोई छोटी सी भूमिका, वह अपनी सभी भूमिकाओं में पूरी तरह रम जाते थे।
किसी भी फिल्म के लिए नहीं मिला कोई पुरस्कार
लेकिन यह बात चौंकाने के साथ पीड़ा भी देती है कि अभिनय के सरताज बलराज साहनी (Balraj Sahni) को अपनी किसी भी फिल्म के लिए कभी भी, कोई भी पुरस्कार नहीं मिला। जबकि अपने 27 बरस के फिल्म करियर में उन्होंने करीब 125 फिल्मों में काम किया। जिनमें कुछ फ़िल्में तो भारतीय सिनेमा की आत्मा मानी जाती हैं। अधिकतर फिल्मों में उनका अभिनय सिर चढ़ कर बोलता है। लेकिन इस सबके बावजूद इन महान अभिनेता को अपने अभिनय के लिए न तो कोई फिल्मफेयर पुरस्कार मिला और न ही कोई राष्ट्रीय पुरस्कार। आखिर इतने शानदार अभिनेता को अभिनय के लिए कोई पुरस्कार क्यों नहीं मिला? यह सवाल सदा कचोटता है। यह सब बताता है कि फिल्मोद्योग में पुरस्कारों को लेकर पक्षपात और राजनीति बरसों से है।
भारत सरकार ने पदमश्री से सम्मानित किया
हाँ इतना गनीमत है कि बलराज साहनी (Balraj Sahni) को फिल्मों में उनके किये गए असाधारण योगदान के लिए सन 1969 में भारत सरकार ने पदमश्री से अवश्य सम्मानित किया। साथ ही बलराज जी के मरणोपरांत उनके सौंवे जन्म दिन पर सन 2013 में उनकी स्मृति में पांच रूपये का एक डाकटिकट भी भारत सरकार ने जारी किया।
पहले नाम युधिष्ठिर था बाद में बलराज हुआ
बलराज साहनी (Balraj Sahni) का जन्म एक मई 1913 को अविभाजित भारत के रावलपिंडी के निकट एक छोटे शहर भेरे में हुआ था। हालांकि इनका नाम पहले युधिष्ठिर था। लेकिन बाद में वह बलराज हो गया। बलराज (Balraj Sahni) के पिता हरबंस लाल साहनी कपड़े के व्यापारी थे। जबकि माँ लक्ष्मी देवी एक गृहणी। अपनी पढ़ाई के दौरान ही बलराज (Balraj Sahni) की फिल्मों में ऐसी दिलचस्पी जागी कि उन्हें आभास हो गया वह अभिनय की दुनिया के लिए ही बने हैं।
‘इंसाफ’ और ‘धरती के लाल’ से शुरू की फिल्म यात्रा
बलराज साहनी (Balraj Sahni) ने अपनी फिल्म यात्रा सन 1946 में ‘इंसाफ’ और ‘धरती के लाल’ जैसी फिल्मों से शुरू की थी। जबकि उनकी अंतिम फिल्म ‘अमानत’ उनके निधन के 4 साल बाद सन 1977 में प्रदर्शित हुई थी। असल में यह एक रुकी हुई फिल्म थी जो देर से प्रदर्शित हुई। लेकिन सही मायने में उनकी अंतिम फिल्म ‘गर्म हवा’ थी। जो उनके निधन के कुछ दिन बाद सन 1973 में प्रदर्शित हुई थी।
60 से अधिक हिट और लोकप्रिय फ़िल्में दी
सन 1946 से 1973 के दौरान प्रदर्शित करीब 125 फिल्मों में से बलराज साहनी (Balraj Sahni) की यूँ तो 60 से अधिक हिट और लोकप्रिय फ़िल्में हैं। उनकी प्रमुख फिल्मों की बात करें तो उनमें उनकी शुरूआती फ़िल्में जस्टिस, गुंजन, गुड़िया, हम लोग और हलचल के बाद सन 1952 में आई ‘दो बीघा ज़मीन’ ने पहली बार उन्हें एक अच्छे कलाकार के रूप में स्थापित किया। उसके बाद उन्होंने अपने अभिनय के ऐसे ऐसे रंग दिखाए कि सभी दंग रह गए। उनकी बेमिसाल अभिनय की अदायगी की बानगी जिन अन्य फिल्मों में देखी जा सकती है उनमें- औलाद, गर्म कोट, भाभी, सोने के चिड़िया, लाजवंती, घर संसार, घर गृहस्थी, अनुराधा, भाभी की चूड़ियाँ, अनपढ़, वक्त, हमराज, नील कमल, तलाश, नन्हा फ़रिश्ता,पहचान, पवित्र पापी, नया रास्ता, होली आई रे, पराया धन, हिन्दुस्तान की कसम, हँसते ज़ख्म और गर्म हवा हैं।
इन 2 फिल्मों ने बनाया अभिनय का सरताज
इन उपरोक्त फिल्मों में से जिन फिल्मों के कारण बलराज (Balraj Sahni) अभिनय के सरताज बने उनमें सबसे ऊपर दो फ़िल्में आती हैं। एक वह जिसके कारण वह सबसे पहले सफल हुए यानी ‘दो बीघा ज़मीन’ और दूसरी उनकी अंतिम फिल्म ‘गर्म हवा’। इन दो फिल्मों के बाद काबुलीवाला, हकीकत, खजांची, एक फूल दो माली, दो रास्ते और घर घर की कहानी आदि फिल्मों को कतार से लिया जा सकता है। लेकिन यदि बलराज साहनी (Balraj Sahni) को ‘दो बीघा ज़मीन’ और ‘गर्म हवा’ जैसी फ़िल्में उनके करियर में नहीं आतीं तो वह इतने बड़े अभिनेता नहीं कहलाते। ‘दो बीघा ज़मीन’ को लेकर बलराज साहनी (Balraj Sahni) ने एक बार लिखा था-“मरते समय अपने जीवन की कम से कम एक प्राप्ति का मुझे जरुर गर्व होगा कि मैंने ‘दो बीघा ज़मीन’ जैसी फिल्म में काम किया।”
हालांकि अपनी दूसरी मील का पत्थर फिल्म ‘गर्म हवा’ बलराज साहनी (Balraj Sahni) के मरणोपरांत प्रदर्शित हुई। जिस कारण वह ‘गर्म हवा’ को पूरी तरह बनने के बाद देख ही नहीं सके। और न ही इस फिल्म के अपने अभिनय के लिए दर्शकों –समीक्षकों की मिलीं शानदार प्रतिक्रियाओं को वह जान सके। अन्यथा वह शायद ये लिखते कि ‘दो बीघा ज़मीन’ और ‘गर्म हवा’ में काम करने का गर्व रहा।
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