Harivansh Rai Bachchan Birthday: बच्चन जी के जन्मदिन पर ‘आकाशवाणी’ करेगी उन्हें नमन, कविता, साहित्य, पत्रों से लेकर उनके कई दिलचस्प संस्मरण भी सुनिए इस विशेष कार्यक्रम में

कृतार्थ सरदाना। विश्व विख्यात कवि और साहित्यकार डॉ हरिवंशराय ‘बच्चन’ के जन्म दिन पर आकाशवाणी पर, उनकी कविताओं, पत्रों  और संस्मरणों को लेकर एक विशेष कार्यक्रम प्रसारित होने जा रहा है। जिसे 24 नवंबर, रविवार सुबह 8.45 पर  इंद्रप्रस्थ चैनल के साथ Air Live News 24X7 और News on AIR ऐप पर भी सुना जा सकता है।

आकाशवाणी के ‘साहित्यिकी’ कार्यक्रम में, वरिष्ठ गीतकार डॉ राजेन्द्र गौतम, वरिष्ठ कवि डॉ धनंजय सिंह के साथ वरिष्ठ कवि, संपादक और समीक्षक प्रदीप सरदाना, बच्चन जी को लेकर अपने विचार, अनुभव और संस्मरण साझा करेंगे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ लेखक और दिल्ली विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक आलोक रंजन पाण्डेय कर रहे हैं।

27 नवंबर को डॉ हरिवंशराय ‘बच्चन’ का 117 वां जन्मदिन है

महान कवि डॉ हरिवंशराय ‘बच्चन’ का 27 नवंबर को 117 वां जन्मदिन है। अपनी कविताओं, गीतों और लेखन से विश्व को महान साहित्यिक विरासत सौंपने के बाद बच्चन जी का 18 जनवरी 2003 को, 96 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया था। लेकिन अपने काव्य और साहित्य के माध्यम से वे अमर रहेंगे।

आकाशवाणी के इस कार्यक्रम में ‘बच्चन के काव्य का एकांत संगीत’ के अंतर्गत सभी विद्वान मुक्त कंठ से अपनी-अपनी बात कहेंगे। बच्चन जी के काव्य में ऐसा क्या खास था कि उनकी रचनाएँ आज भी बहुत पसंद की जाती हैं। काव्य के साथ उनका लेखन भी इतना सुंदर रहा कि उनकी बातें दिलों में घर करती रहीं। यहाँ तक उनके लिखे पत्र भी किसी साहित्य से कम नहीं।

बच्चन जी के 100 पत्र हैं मेरे पास, पढ़ने से मिलता है ज्ञान-  प्रदीप सरदाना

कार्यक्रम के दौरान चर्चा में प्रदीप सरदाना बताते हैं- ‘’बच्चन जी के मुझे लिखे करीब 100 पत्र मेरे पास आज भी मौजूद हैं। जिस तरह गीता को बार-बार पढ़कर, हर बार अनुपम ज्ञान मिलता है। वैसे ही उनके पत्रों को भी मुझे बार-बार पढ़ने से कुछ वैसा ही ज्ञान मिलता है।‘’

श्री सरदाना इस कार्यक्रम में जहां बच्चन जी की ‘क्या हवाएँ थी’ जैसी कुछ कवितायें सुनाते हैं। वहाँ उनकी वह सीख भी बताते हैं, जिसमें बच्चन जी ने ‘अकेला भी बहुत बडा है इंसान’ और ‘कर शपथ’ जैसी पंक्तियों से उन्हें नया साहस दिलाया। वहाँ वह फिल्मों में शामिल किए उनके गीतों पर भी चर्चा करते हुए नयी रोशनी डालते हैं। बच्चन जी को लेकर उनके कुछ संस्मरण तो दिल छू लेते हैं।

उल्लेखनीय है पत्रकार, कवि और समीक्षक प्रदीप सरदाना को बरसों बच्चन जी के सानिन्ध्य के साथ गुरु के रूप में उनका मार्ग दर्शन भी खूब मिला।

उधर राजेन्द्र गौतम, धनंजय सिंह और आलोक रंजन भी बच्चन जी के काव्य कि अमर कृतियों- निशा निमंत्रण, सतरंगिनी, जाल समेटा, सोपान, प्रणय पत्रिका, आरती और अंगारे आदि को लेकर काफी चर्चा करने के साथ अपने संस्मरण भी रखते हैं।

आकाशवाणी के इस कार्यक्रम की प्रस्तुतकर्ता मधुलिका श्रीवास्तव हैं तो उनके साथ प्रस्तुति सहयोग कीर्ति बैद का है। जबकि कार्यक्रम के निर्देशक राम अवतार बैरवा हैं।

‘मधुशाला’ की रचना से उनकी ख्याति विश्व भर में हो गयी थी

बता दें, बच्चन जी ने 1930 के दशक में अपनी काव्य यात्रा शुरू की थी। सन 1935 में तो ‘मधुशाला’ की रचना से उनकी ख्याति विश्व भर में हो गयी थी। उन्होंने 60 से अधिक पुस्तकें लिखने के साथ, कुछ पुस्तकों को अनुवाद भी किया। उनकी आत्मकथा के चार भाग ‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’, ‘नीड़ का निर्माण फिर’,‘बसेरे से दूर’ और ‘दशद्वार से सोपान तक’ उन्हें महान कवि होने के साथ महान लेखक भी सिद्द करते हैं।

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