जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाया गया आचार्य बालकृष्ण का जन्मदिन, स्वामी रामदेव सम्मानित करते हुए बोले अपना संपूर्ण जीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित कर दिया

कृतार्थ सरदाना। विश्व प्रसिद्द पतंजलि आयुर्वेद के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) का जन्मदिन सोमवार 4 अगस्त को हरिद्वार ‘जड़ी बूटी दिवस के रूप में बहुत ही सुन्दर ढंग से मनाया गया . पतंजलि (Patanjali) योगपीठ-2 स्थित पतंजलि वेलनेस के योग भवन प्रांगण में स्वामी रामदेव सहित असंख्य व्यक्ति मौजूद थे। जड़ी-बूटी दिवस के अवसर पर स्वामी रामदेव (Swami Ramdev) एवं आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) ने उपस्थित जनसमूह को स्वस्थ व्यक्ति, स्वस्थ परिवार, स्वस्थ समाज, स्वस्थ राष्ट्र एवं स्वस्थ विश्व के लिए वृक्षारोपण का संकल्प दिलाया। समारोह का एक आकर्षण यह भी था कि आचार्य जी के इस 53 वे जन्मदिन के पावन पर्व पर आचार्य बालकृष्ण द्वारा लिखित 11 पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। ये सभी पुस्तकें विभिन्न रोगों की जानकारी देने के साथ उनसे बचाव की राह बताते हुए स्वास्थ्य को लेकर मार्ग दर्शन करती हैं।
स्वामी रामदेव (Swami Ramdev) एवं आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) ने स्वयं रक्तदान एवं वृक्षारोपण कर आमजन को प्रेरित किया। कार्यक्रम में स्वामी रामदेव ने आचार्य बालकृष्ण को जन्मदिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा “आचार्य जी का जन्मदिवस के बहाने हम जड़ी बूटी दिवस मनाकर , जड़ी बूटियों के महत्त्व और उनकी अत्यंत उपयोगिता के बारे में भी सभी को जागरूक करना चाहते हैं। जड़ी-बूटियां प्रकृति-ईश्वर की कृपा का अनुभव करने का माध्यम हैं। जड़ी-बूटियां केवल उपचार के लिए ही नहीं, बल्कि आत्मसाक्षात्कार के लिए भी हैं।”
आचार्य बालकृष्ण ने संपूर्ण जीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित कर दिया
योगऋषि स्वामी रामदेव (Swami Ramdev) ने कहा कि आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) ने अपने ऋषियों की विरासत को गौरव के साथ स्थापित किया है. वह इस अखंड एवं प्रचंड पुरुषार्थ का जीवंत उदाहरण हैं। आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) की महान तपस्या पतंजलि (Patanjali) के विभिन्न सेवा परिसरों जैसे पतंजलि आयुर्वेद चिकित्सालय, योगग्राम, पतंजलि वेलनेस आदि में निहित है। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित कर दिया है। उनका जीवन एक प्रेरणा है कि हम निरंतर एवं प्रखर प्रयास करते रहें तथा अपने संपूर्ण ज्ञान, भक्ति एवं पुरुषार्थ से प्रत्येक कार्य को ईश्वर की आराधना मानकर अपना जीवन माँ भारती, मानवता, प्रकृति एवं संस्कृति की सेवा में समर्पित कर दें।
जड़ी-बूटियाँ, पेड़-पौधे नहीं होंगे तो मानव जीवन का अस्तित्व नहीं रहेगा
कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) ने कहा कि जड़ी-बूटियाँ हमारी नहीं हैं, बल्कि हम जड़ी-बूटियों के हैं। यदि हमें अपने जीवन की रक्षा करनी है, तो जड़ी-बूटियों को बचाना आवश्यक है। इसलिए पतंजलि का जड़ी-बूटी दिवस सम्पूर्ण मानवता के जीवन को बचाने की एक पहल है, यदि जड़ी-बूटियाँ, पेड़-पौधे नहीं होंगे, तो मानव जीवन का अस्तित्व नहीं रह सकता। आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) ने कहा कि जन्मदिन तो बस एक बहाना है, रात्रि विश्राम के बाद जब हम सुबह उठते हैं, तो हर दिन नई ऊर्जा, नए सूर्योदय और नए जीवन के साथ जन्म लेते हैं। इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ से जुड़े हमारे लाखों परिवारों के साथ-साथ देश और दुनिया के करोड़ों लोग जड़ी-बूटी का रोपण करके इस पर्व को मनाते हैं। उन्होंने सभी देशवासियों से अधिक से अधिक संख्या में जड़ी-बूटी का रोपण कर स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा करने की अपील की।
उपहार पाकर अभिभूत हुए बालकृष्ण
आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) के जन्मदिवस पर उपस्थित जनसमूह का उत्साह देखते ही बनता था। स्वामी रामदेव (Swami Ramdev) तो अत्यंत प्रसन्न दिखे ही. प्रातः योग कार्यक्रम के दौरान बालकृष्ण जी कार्यक्रम में पधारे तो वहां एक बड़े उत्सव जैसा वातावरण था। कई संत और गणमान्य व्यक्तिभी वहां मौजूद थे। कितने ही व्यक्ति आचार्य जी को जन्मदिन की भेंट देने के लिए आतुर थे। बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने आचार्य को फूलों का बड़ा सा हार पहनाकर उनके स्वागत के साथ उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान किया। उधर स्वामी रामदेव की माताश्री ने तो बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) को सोने की चैन पहनाकर उन्हें बिलकुल अपने पुत्र की भांति आशीष स्नेह दिया। इस मौके पर रामदेव जी ने चुटकी लेते हुए कहा , बालकृष्ण जी को उपहार बहुत पसंद हैं। इन्हें तो एक टॉफी देकर अपना बनाया जा सकता है। ” इस पर आचार्य ने हँसते हुए कहा – ”इसमें कोई शक नहीं कि मुझे उपहार पसंद हैं। लेकिन अब बड़ा हो गया हूँ तो टॉफी से खुश नहीं होता। ”
आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) के जन्मदिवस पर दिल्ली से एस के तिजारावाला (SK Tijarawala) भी विशेष रूप से हरिद्वार पहुंचे। उन्होंने शिल्पकार शर्मा बंधु द्वारा बनायीं गयीं भगवान धनवंतरी जी को 53 विशेष मूर्तियां आचार्य बालकृष्ण को उपहार स्वरुप भेंट कीं। इस मौके पर बाबा सत्यनारयण मौर्या ने भी भारत की संस्कृति, परंपरा और आस्था पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा जिस तरह हम अपने देश की धरती के साथ अपनी नदियों , गाय और आँगन की तुलसी तक को अपनी माता मानते हैं, ऐसा विश्व में कहीं और नहीं होता।
इस प्रकार आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) का यह जन्मदिवस समारोह जहां भव्यता के रंग लिए हुए था वहां सादगी, आस्था और प्रेम की अनुभूति भी सर्वत्र झलक रही थी।