प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुरू की ‘वन नेशन, वन मिशन’ अभियान

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज गुरुवार को ‘प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन’ की घोषणा की। यह अभियान विश्व पर्यावरण दिवस की तैयारी के तहत शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य देशभर के नागरिकों को पर्यावरण अनुकूल विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित करना है। केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर जानकारी दी कि इस अभियान का नाम ‘वन नेशन, वन मिशन : एंड प्लास्टिक पॉल्यूशन’ रखा गया है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘मिशन लाइफ (LiFE)’ के तहत जन-भागीदारी को बढ़ावा देगा। उन्होंने लिखा, “आइए हम सभी मिलकर जागरूकता से कार्रवाई की ओर कदम बढ़ाएं और स्थायी जीवनशैली को अपनाकर प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करें।”
इससे पहले, 21 मई को भूपेंद्र यादव ने राजस्थान के उदयपुर में आयोजित ‘अरावली पर्वतमाला संरक्षण पर राष्ट्रीय कार्यशाला’ का उद्घाटन किया। यह कार्यशाला अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित की गई। इस कार्यशाला का उद्देश्य भारत की सबसे पुरानी पर्वतमाला अरावली के पुनर्जीवन के लिए विस्तृत कार्य योजना को अंतिम रूप देना था।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 2024 में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर दिल्ली रिज स्थित बुद्ध जयंती पार्क से ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की थी, जो अरावली का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि ‘अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट’ के माध्यम से इस क्षेत्र में हरियाली, जैव विविधता, जल स्रोतों का पुनर्स्थापन, मृदा की उर्वरता और जलवायु सहनशीलता बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस अभियान की सफलता के लिए ‘Whole of Government’ और ‘Whole of Society’ दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। उन्होंने नवाचार, तकनीकी समाधान, जन जागरूकता और भागीदारी को कार्यक्रम की सफलता की कुंजी बताया। उन्होंने बताया कि हर पंचायत में पौध नर्सरी बनाने के लिए MNREGA और CAMPA को जोड़ा जाएगा। साथ ही युवा एवं MY Bharat स्वयंसेवकों को अरावली क्षेत्र के पारिस्थितिकी पुनर्स्थापन में लगाया जाएगा।
इसके अलावा, ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम, छोड़ी गई खदानों का पुनर्स्थापन, वन्यजीव और जल स्रोतों के रूप में खदान जलाशयों का उपयोग, नेचर पार्क, सफारी और ट्रेकिंग सुविधाओं का विकास, प्राकृतिक प्रजातियों और बांस के साथ पुनर्रोपण, ईको-क्लब और ईको-टास्क फोर्स की भागीदारी, अमृत सरोवर और जल निकायों को अरावली योजना से जोड़ना, और ZSI तथा BSI जैसे संस्थानों के माध्यम से अनुसंधान और निगरानी जैसे कदम भी इस दिशा में उठाए जाएंगे।