24 भारतीय भाषाओं के लेखकों को मिला साहित्य अकादेमी पुरस्कार, जानिए किन किन लेखकों को मिला ये बड़ा सम्मान

हिन्दी के लिए प्रो बद्री नारायण को मिला यह साहित्य सम्मान

कृष कुमार, साहित्य अकादेमी ने कल 11 मार्च को अपने प्रतिष्ठित साहित्य अकादेमी सम्मान से देश के 24 लेखकों को पुरस्कृत किया। ये नज़ारा इतना सुखद था कि नई दिल्ली के कमानी सभागार में जब यह पुरस्कार अर्पण समारोह हुआ तो सभी साहित्यिक प्रेमियों के चेहरे खिल उठे। सभागार बार बार तालियों से गूँजता रहा।

देश के इस सबसे बड़े पुरस्कार समारोह की प्रतीक्षा सभी साहित्यिक प्रेमियों के साथ देश भर के लेखकों-कवियों को भी रहती है। इस बार हिन्दी के लिए यह सम्मान प्रो बद्री नारायण को उनके काव्य संग्रह ‘तुमड़ी के शब्द’ को मिला। बद्री नारायण का यह चौथा काव्य संग्रह 2019 में प्रकाशित हुआ था।

जिन अन्य रचनाकारों को वर्ष 2022 के साहित्य अकादेमी पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया उनमें जहां प्रवीण दशरथ बांदेकर (मराठी), जर्नादन प्रसाद पाण्डेय ‘मणि’ (संस्कृत),मनोज कुमार गोस्वामी (असमिया), तपन बंद्योपाध्याय (बांग्ला), रश्मि चौधरी (बोडो), वीणा गुप्ता (डोगरी), अनुराधा रॉय (अंग्रेज़ी), गुलाममोहम्मद शेख (गुजराती) हैं। वहाँ  मुडनाकुडु चिन्नास्वामी (कन्नड), फ़ारूक़ फ़याज़ (कश्मीरी), माया अनिल खंरगटे (कोंकणी), अजित आजाद (मैथिली), एम. थॉमस मैथ्यू (मलयाळम्), कोइजम शांतिबाला (मणिपुरी), के.बी. नेपाली (नेपाली), गायत्रीबाला पंडा सुखजीत (पंजाबी) काजली सोरेन ‘जगन्नाथ सोरेन’ (संताली), कन्हैयालाल लेखवाणी (सिंधी), एम. राजेंद्रन (तमिऴ), मधुरांतकम नरेंद्र (तेलुगु), अनीस अशफ़ाक़ (उर्दू) भी हैं।

इनके अतिरिक्त राजस्थानी के लिए कमल रंगा को यह पुरस्कार मिला। लेकिन वह स्वयं यह पुरस्कार लेने नहीं आ सके।

माधव कौशिक बने अध्यक्ष और कुमुद शर्मा उपाध्यक्ष

पुरस्कार अर्पण समारोह की अध्यक्षता साहित्य अकादेमी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष माधव कौशिक ने की। श्री कौशिक ने कहा कि साहित्य अकादेमी का यह मंच विविधता में एकता देखने का सबसे बड़ा उदाहरण है। क्योंकि यहाँ हम उन्हें एकसाथ भारतीय साहित्य की एकात्मकता के रूप में देख सकते हैं। सभी लेखक आम आदमी के संघर्षों को हमारे सामने रखते हुए हिंदुस्तान की नब्ज हमारे सामने लाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लेखक चाहे किसी भी भाषा के हों उनके साहित्यिक सरोकार एक से ही हैं। इस देश का साहित्य हमेशा जीवंत रहा है और रहेगा।

उधर अपने समापन वक्तव्य में साहित्य अकादेमी की नई उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा कि भारत की विभिन्नताओं के बावजूद इसकी जीवंत परंपराओं, इतिहास और स्मृतियों से एक जैसा नाता है। समरसता के सूत्र सारे भारतीय साहित्य को एक बनाते हैं। साहित्य अकादेमी के पुरस्कार सृजन की उत्सुकता जगाते हैं और यह परंपरा आगे भी बनी रहनी चाहिए।

मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए उपमन्यु चटर्जी ने कहा कि हर लेखक अलग-अलग तरीके से अपने अनुभव व्यक्त करता है। लेकिन अनुवाद के माध्यम से जब वह दूसरी भाषाओं में पहुँचता है तबभी उसकी महत्ता कम नहीं होती है। उन्होंने साहित्य अकादेमी की अनुवाद योजना का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि यह एक बड़ा काम है और निरंतर जारी रहना चाहिए।

मेघवाल ने किया प्रदर्शनी के संग साहित्योत्सव का आरंभ

पुरस्कार समारोह से पूर्व शनिवार सुबह ही साहित्योत्सव का शुभारंभ केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री, अर्जुन राम मेघवाल ने, प्रदर्शनी के उद्घाटन संग किया। मेघवाल ने इस मौके पर कहा-‘’हमें समाज में एक ऐसी सकारात्मकता पैदा करनी है जिससे हमारा देश विकासशील की जगह विकसित राष्ट्र की पदवी पा सके। उन्होंने प्राचीन संत कवियों कबीर, गुरु नानक तिरुवल्लुवर का उदाहरण देते हुए कहा कि यह संत केवल कवि नहीं बल्कि बड़ी सोच और व्यापक दृष्टि के साहित्यकार थे जिन्होंने हमें प्रकृति से प्यार करना सिखाया। उन्होंने अकादेमी द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि सभी कला और साहित्यिक संस्थानों को समाज में रचनात्मक और सकारात्मक परिवेश बनाए रखने में सहयोग करना चाहिए।‘’

श्री मेघवाल ने जी 20 का उल्लेख करते हुए कहा कि इसकी थीम भारतीय संस्कृति और परंपरा अर्थात तीन सिद्धांतों ‘एक पृथ्वी एक परिवार और एक भविष्य’ पर आधारित है। ऐसे बड़े आयोजनों से ही हम अपने निर्धारित लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं।

इस वार्षिक प्रदर्शिनी में चित्रों तथा लेखों के विवरण से विगत वर्ष की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया था। उधर कमानी सभागार में सायं 5.30 बजे आयोजित हुए साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2022 अर्पण समारोह से पहले रवींद्र भवन परिसर में पुरस्कृत रचनाकारों के साथ मीडिया से बातचीत भी हुई।  युवा साहिती, बहुभाषी कवि सम्मिलन, अस्मिता, बहुभाषी कहानी-पाठ एवं पूर्वोत्तरी कार्यक्रम आयोजित किए गए जिनमें विभिन्न भारतीय भाषाओं के पजाने माने लेखक भुचुंग डी. सोनम, मृत्युंजय सिंह, के. श्रीलता, वाई.डी. थोंगछी, के. जयकुमार, रामकुमार मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में अनेक रचनाकारों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं।

 

 

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