Uttarakhand Tunnel Rescue: 41 मजदूरों को बाहर निकलवाने के लिए जी जान से लगी है मोदी सरकार, जानिए उत्तरकाशी सिल्कयारा सुरंग हादसे के बाद से सरकार के उठाए गए सभी कदम

उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने हेतु बचाव अभियान पूरी गति से जारी है। सभी श्रमिकों के बहुमूल्य जीवन को बचाने हेतु प्रतिबद्ध सरकार लगातार संपर्क बनाए हुए है और निर्मित सुरंग के दो किलोमीटर हिस्से में फंसे श्रमिकों का मनोबल बनाए रखने के सभी प्रयास कर रही है। श्रमिकों को सुरक्षा प्रदान करने वाले कंक्रीट कार्य सहित सुरंग के इस दो किलोमीटर हिस्से का निर्माण कार्य पूरा हो गया है।

सुरंग के इस हिस्से में बिजली एवं पानी उपलब्ध है और श्रमिकों को 4-इंच कंप्रेसर पाइपलाइन के माध्यम से खाद्य पदार्थ और दवाएं आदि प्रदान की रही हैं। आज, एक बड़ी सफलता उस समय हासिल हुई जब एनएचआईडीसीएल ने भोजन, दवाओं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए 6 इंच व्यास वाली एक और पाइपलाइन की ड्रिलिंग पूरी कर ली। इसके अलावा, आरवीएनएल आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए एक और लंबवत पाइपलाइन के निर्माण पर काम कर रहा है।

विभिन्न सरकारी एजेंसियां ​​बचाव इस अभियान में शामिल हुई हैं और उन्हें विशिष्ट कार्य सौंपे गए हैं। ये एजेंसियां ​​श्रमिकों की सुरक्षित निकासी के लिए अथक प्रयास कर रही हैं। लंबवत बचाव सुरंग के निर्माण से संबंधित अद्यतन जानकारियां नीचे दी गईं हैं:

श्रमिकों के बचाव के लिए अभियान

  • श्रमिकों के बचाव के लिए ऑगुर बोरिंग मशीन के माध्यम से सिल्कयारा छोर से एनएचआईडीसीएल द्वारा क्षैतिज बोरिंग का कार्य आज शाम को फिर से शुरू होने वाला है।
  • लंबवतबचाव सुरंग के निर्माण के लिए एसजेवीएनएल की पहली मशीन पहले ही सुरंगस्थल पर पहुंच चुकी है और बीआरओ द्वारा पहुंच मार्ग का निर्माण पूरा होने के बाद कामकाज शुरू किया जा रहा है। लंबवत सुरंग निर्माण के लिए दो अन्य मशीनें सड़क मार्ग से गुजरात और ओडिशा से प्रस्थान कर चुकी हैं।
  • टीएचडीसी द्वारा बड़कोट छोर से480 मीटर की बचाव सुरंग के निर्माण का कार्य शुरू हो गया है।
  • श्रमिकों के बचाव के लिए आरवीएनएल द्वारा क्षैतिज ड्रिलिंग के माध्यम से माइक्रो-टनलिंग के लिए मशीनरी नासिक और दिल्ली से पहुंचाई जा रही है।
  • लंबवत बोरिंग के लिए मशीनरी ओएनजीसी द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका, मुंबई और गाजियाबाद से जुटाई जा रही है।
  • बीआरओ ने सराहनीय कार्य किया है जब आरवीएनएल और एसजेवीएनएल द्वारा लंबवत ड्रिलिंग के लिए संपर्क मार्ग का निर्माण 48 घंटों के भीतर किया गया है। इसके अलावा, अब ओएनजीसी के लिए भी संपर्क मार्ग पर काम जारी है।

उत्तरकाशी के सिल्कयारा सुरंग में क्या क्या हुआ

  • 11.2023 को, यह बताया गया कि सिलक्यारा से बड़कोट तक निर्माणाधीन सुरंग इस सुरंग के सिल्कयारा छोरवाले 60 मीटर के खंड में मलबा गिरने के कारण ढह गई। इस घटना के बाद, राज्य सरकार और भारत सरकार ने फंसे हुए 41 श्रमिकों को बचाने के लिए तुरंत संसाधन जुटाए।
  • मलबे से होकर900 मिमी का पाइप बिछाने का निर्णय लिया गया क्योंकि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार यह सबसे अच्छा और सबसे तेज संभव समाधान था।
  • हालांकि, 17.11.2023 को, ज़मीनी हलचल के कारण इस संरचना को सुरक्षित किए बिना इस विकल्प को आगे जारी रखना असुरक्षित हो गया। इसमें संबद्ध लोगों के जीवन को ध्यान में रखते हुए, सभी संभावित मोर्चों पर एक साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया ताकि श्रमिकों को जल्द से जल्द बचाया जा सके।
  • जिस स्थान पर श्रमिक फंसे हैं वह5 मीटर ऊंचा और दो किलोमीटर लंबा है। यह सुरंग का निर्मित हिस्सा है जहां श्रमिकों को सुरक्षा प्रदान करते हुए कंक्रीटिंग का काम किया गया है। सुरंग के इस हिस्से में बिजली और पानी भी उपलब्ध है।
  • पांच विकल्प तय किए गए और इन विकल्पों को कार्यान्वित करने के लिए पांच अलग-अलग एजेंसियों को विस्तार से जानकारीदी गई। इन पांच एजेंसियों ​​अर्थात् तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), सतलज जल विद्युत निगम (एसजेवीएनएल), रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल), राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल), और टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसीएल) को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
  • एनएचआईडीसीएल भोजन के लिए6 इंच की एक और पाइपलाइन बना रहा है और 60 मीटर में से 39 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है। एक बार जब यह सुरंग तैयार हो जाएगी, तो इससे और अधिक खाद्य पदार्थों की आपूर्ति में सुविधा होगी।
  • सीमा सड़क संगठन द्वारा केवल एक दिन में एक संपर्क मार्ग का निर्माण पूरा करने के बाद आरवीएनएल आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए एक और लंबवत पाइपलाइन पर काम कर रहा है।
  • सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के बाद एनएचआईडीसीएल सिल्कयारा छोर से ड्रिलिंग जारी रखेगा। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए सेना ने बॉक्स पुलिया तैयार की है। श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक छत्रनुमा ढांचा बनाया जा रहा है।
  • इसके अलावा, टिहरी जलविद्युत विकास निगम (टीएचडीसी) ने बड़कोट छोर से माइक्रो टनलिंग का काम शुरू किया है, जिसके लिए भारी मशीनरी पहले ही जुटाई जा चुकी है।
  • सतलज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए लंबवत ड्रिलिंग कर रहा है। तदनुसार, रेलवे की सहायता से गुजरात और ओडिशा से उपकरण जुटाए गए हैं क्योंकि75-टन के उपकरण होने के कारण इसे हवाई मार्ग से नहीं ले जाया जा सकता था।
  • गहरी ड्रिलिंग में विशेषज्ञता रखने वाली ओएनजीसी ने भी बड़कोट छोर से लंबवत ड्रिलिंग के लिए प्रारंभिक कार्य शुरू कर दिया था।

 

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