हमारा जीवन भी एक किताब है- कुमुद शर्मा, साहित्य अकादमी द्वारा विश्व पुस्तक दिवस पर आयोजित परिसंवाद में लेखकों,कवियों और कलाकारों ने रखे अपने विचार

नयी दिल्ली,पुनर्वास न्यूज़ डेस्क। साहित्य अकादेमी (Sahitya Akademi) द्वारा 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस (World Book Day) के अवसर पर, एक परिसंवाद का आयोजन किया गया। परिसंवाद का शीर्षक था, पुस्तक,  जिसने बदल दिया मेरा जीवन। इस परिसंवाद की अध्यक्षता साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा (Kumud Sharma) ने की। इसके प्रतिभागी थे-लेखक एवं प्रशासक आशुतोष अग्निहोत्री,  दार्शनिक एवं नाट्यशास्त्रविद भरत गुप्त, चित्रकार हेमराज, ओडिसी नृत्यांगना एवं कवयित्री जया मेहता, लेखक एवं कार्टूनिस्ट माधव जोशी, ध्रुपद गायक उदय कुमार मल्लिक और चिकित्सक एवं कवि विनोद खेतान।

आशुतोष अग्निहोत्री ने परिसंवाद की शुरुआत करते हुए कहा कि पुस्तकें नज़रिया और साहस देती हैं। हमारे एकाकी जीवन को व्यापक बनाती हैं। मैं सबसे पहले जिस पुस्तक से प्रभावित हुआ,वह एक अंग्रेजी कविता-संग्रह था जिसमें कई विदेशी कवियों की कविताएँ थीं। मेरे युवा मन को इन कविताओं ने अलग दृष्टि दी।

भरत गुप्त ने कहा कि किसी ग्रंथ में जब आपकी श्रद्धा होती है तभी आपको उससे नए अर्थ प्राप्त होते हैं। मैंने जब नाट्य शास्त्र पुस्तक को पढ़ा,तो मैंने देखा जैसे-जैसे उसे पढ़ता गया वैसे-वैसे नए-नए अर्थ मेरे सामने खुलते गए।

विनोद खेतान ने किताबों को लेकर अपने रोचक संस्मरण साझा करते हुए कहा कि कोई एक किताब हमारा जीवन नहीं बदलती है, बल्कि कई किताबों के समझने से हमारा जीवन बदलता है।

चित्रकार हेमराज ने कहा कि मेरा पढ़ाई से या किताबों से बहुत वास्ता नहीं रहा। लेकिन जब मैं अपनी चित्रकारी की पढ़ाई कर रहा था तब किताबों से मैंने बहुत कुछ सीखा। मेरा मानना है कि एक गुरु की तुलना में किताबें ज्यादा बेहतर होती हैं।

उधर जया मेहता ने कहा कि किताबों के साथ हम कहीं की भी यात्रा कर सकते हैं। कल्पना की दुनिया में हम किताबों के सहारे ही जा सकते हैं। बचपन में हमारी कल्पना बिल्कुल निष्कलंक होती है लेकिन जैसे-जैसे हम ज्ञानी होते जाते हैं हमारी कल्पना भी सीमित होती जाती है।

अंत में अकादेमी की उपाध्यक्ष और इस कार्यक्रम की अध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा कि गीता और रामचरितमानस भारत की सामूहिक चेतना का हिस्सा हैं। हमारा जीवन भी एक किताब होता है, जिसे पढ़कर भी हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। किताबें हमें रास्ता दिखाती हैं क्योंकि हमारे यहाँ ज्ञान को तीसरी आँख कहा गया है।

कार्यक्रम का खूबसूरत संचालन साहित्य अकादेमी के संपादक (हिंदी) अनुपम तिवारी ने किया ।

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