अक्षय कुमार बने भारत कुमार

- प्रदीप सरदाना
वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक
अक्षय कुमार भारतीय सिनेमा के एक ऐसे कलाकार हैं जो साल में चार फिल्में करने के बावजूद, दो महीने के लिए परिवार के साथ घूमने भी जाते हैं। इतना ही नहीं शाम 7 बजे के बाद वह खाना भी नहीं खाते और शूटिंग भी वह अधिकतर दिन में ही खत्म कर रात को जल्दी सोने चले जाते हैं।
अक्षय को मैंने पहली बार इंटरव्यू 1992 में तब किया था जब उनकी शुरुआती फिल्म ‘खिलाड़ी’ प्रदर्शित हुई थी। लेकिन तब यह अहसास तक नहीं हुआ था कि अक्षय फिल्मी दुनिया के सबसे बड़े खिलाड़ी बन जाएंगे। हालांकि पिछले कुछ समय से उनकी फिल्में सफल नहीं हो रही थीं।
लेकिन पिछले हफ्ते प्रदर्शित ‘ओएमजी-2’ ने सफल होकर माहौल बदल दिया है। दूसरा ‘ओएमजी-2’ में धार्मिक रंग देकर जिस तरह बच्चों को यौन शिक्षा देने की पुरजोर वकालत की गयी है, वह सब काबिले तारीफ है। धर्म और सेक्स दोनों दो अलग किनारे हैं। लेकिन निर्देशक अमित राय ने इन दो विपरित् धाराओं का अद्धभुत संगम दिखाकर, नए सिनेमा की राह खोल दी है।
इधर अब अक्षय कुमार का पिछले कुछ समय से इसलिए विरोध हो रहा था कि उनके पास कनाडा की नागरिकता थी। इससे देश प्रेमियों का एक वर्ग अक्षय से सख्त नाराज था। जबकि अक्षय ने अपने देश भारत के लिए बने ‘पीएम केयर’ के लिए एक झटके में 25 करोड़ रुपए दे दिये थे।
इसके अलावा भी वह देश के लिए कितनी ही चैरिटी करते रहे हैं। लेकिन अक्षय को कुछ लोगों ने कनाडा कुमार या केनेडियन कुमार कहना शुरू किया तो यह बात अक्षय को बहुत चुभी। इसलिए अक्षय ने कुछ समय पहले फिर से भारत की नागरिकता लेने के लिए आवेदन कर दिया था।
अब 15 अगस्त को अक्षय ने बताया कि उन्हें फिर से भारतीय नागरिकता मिल गयी है। उम्मीद है अब अक्षय को कनाडा कुमार कहने वाले लोग उन्हें भारत कुमार कहकर पुकारेंगे।